विकसित भारत@2047: प्रगति का मार्ग नीति आयोग कॉन्क्लेव

नीति आयोग ने 6 फरवरी 2025 को “विकसित भारत @ 2047: अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक साझेदारी और विधि को सशक्त बनाना” शीर्षक से एक उच्च स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में आयोजित किया गया, जिसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्यगण और सीईओ के साथ-साथ भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और रक्षा मंत्रालय के सचिव सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हुए।

इस सम्मेलन में पैनल चर्चाएं, मुख्य वक्तव्य और विशेषज्ञ विचार-विमर्श शामिल थे, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दीर्घकालिक रणनीति पर चर्चा करना था। प्रमुख विषयों में आर्थिक सुधार, वैश्विक साझेदारी, राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी ढांचा और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर विचार-विमर्श किया गया।

प्रमुख चर्चाएं और मुख्य निष्कर्ष

1. 2047 तक आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता

  • नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों ने भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने के रोडमैप का विश्लेषण किया।
  • विनियामक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विस्तार, नवाचार और रणनीतिक व्यापार भागीदारी पर जोर दिया गया।
  • अनुसंधान और विकास (R&D) में निजी क्षेत्र के निवेश, राजकोषीय संतुलन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण की भूमिका पर चर्चा हुई।
  • सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण कच्चे माल तक पहुंच को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • शिक्षा, कौशल विकास और आधारभूत संरचना को भारत की जनसांख्यिकीय लाभ का प्रमुख घटक माना गया।
  • साहसिक सुधारों, सतत ऊर्जा नीतियों और वैश्विक व्यापार में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की जरूरत पर जोर दिया गया।

2. विकास के लिए रणनीतिक साझेदारियां

  • भारत की वैश्विक दक्षिण (Global South) और वैश्विक उत्तर (Global North) के साथ संतुलित कूटनीतिक रणनीतियों पर चर्चा की गई।
  • आर्थिक लचीलापन और भू-राजनीतिक व्यापार व्यवधानों को कम करने के उपायों पर विचार किया गया।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने की रणनीतियों पर जोर दिया गया।
  • व्यापार उदारीकरण, टैरिफ में कमी और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने की जरूरत पर चर्चा की गई।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure) को मजबूत कर बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारियों को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
  • निवेश आकर्षित करने और व्यापार करने में सुगमता बढ़ाने के लिए कानूनी सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा हुई।

3. आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और राष्ट्रीय रक्षा

  • आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और राष्ट्रीय रक्षा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका पर चर्चा की गई।
  • नागरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए ‘जस्ट इन टाइम’ (JIT) मॉडल बनाम सैन्य रसद के लिए ‘जस्ट इन केस’ (JIC) मॉडल की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया।
  • मजबूत खरीद प्रक्रियाओं और प्रभावी कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और परिचालन दक्षता की रक्षा के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत पर चर्चा हुई।
  • सैन्य और नागरिक अभियानों दोनों के लिए लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रस्ताव रखे गए।

यह सम्मेलन भारत के दीर्घकालिक आर्थिक, सुरक्षा और वैश्विक रणनीतियों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इससे 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दृष्टि को साकार करने में सहायता मिलेगी।

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vikash

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