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बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की विजय को चिह्नित करने के लिए भारत में विजय दिवस मनाया गया

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1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत व एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के जन्म को चिह्नित करने के लिये हर साल 16 दिसंबर को भारतीय सशस्त्र बलों और बांग्लादेश द्वारा विजय दिवस (बिजॉय डिबोस) के रूप में मनाया जाता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे जहाँ एक बड़ी समस्या दोनों क्षेत्रों के बीच भौगोलिक संपर्क न हो पाना थी।

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1960 के दशक के मध्य में शेख मुजीबुर रहमान (बांग्लादेश के राष्ट्रपिता) जैसे नेताओं ने पश्चिमी पाक की नीतियों का सक्रिय रूप से विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा क्रूरतापूर्ण कार्रवाई की गई। 3 दिसंबर 1971 को भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमानों और हिंदुओं को बचाने के लिये पाकिस्तान के साथ युद्ध करने का फैसला किया। यह युद्ध 13 दिनों तक चला था। उसके बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की अनंतिम सरकारों के बीच एक लिखित समझौता हुआ, जिससे बांग्लादेश मुक्ति युद्ध समाप्त हो गया।

 

महत्त्व

51 वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह सबसे बड़ा सैन्यकर्मियों का आत्मसमर्पण था। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने ढाका में भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी के सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। विजय दिवस समारोह न केवल बांग्लादेश के लिये महत्त्वपूर्ण है बल्कि पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर भी है जो भारतीय सेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका और युद्ध में इसके योगदान के महत्त्व को दर्शाता है।

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