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पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का निधन

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और संगरूर से पूर्व सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा का बुधवार शाम निधन हो गया। 89 वर्ष की आयु में उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही पंजाब की राजनीति का एक अहम अध्याय समाप्त हो गया।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक जागृति

संगरूर की मिट्टी से राजनीति की राह तक
9 अप्रैल 1936 को उभावल गांव (जिला संगरूर) में जन्मे ढींढसा का राजनीति की ओर झुकाव युवावस्था से ही था। उन्होंने गवर्नमेंट रणबीर कॉलेज, संगरूर से शिक्षा प्राप्त की, जहां वे स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे।

सबसे कम उम्र के सरपंच से राजनीतिक पथिक तक

कॉलेज के बाद उन्होंने उभावल के सबसे युवा सरपंच के रूप में पद संभाला। वे ब्लॉक समिति सदस्य भी बने, जो उनकी जमीनी राजनीति की शुरुआत थी। 1972 में, उन्होंने धनौला विधानसभा क्षेत्र (अब बरनाला जिले में) से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और बाद में शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए।

राजनीतिक पदों और राष्ट्रीय भूमिका का विस्तार

विधानसभा और मंत्री पद
1977 में, उन्होंने सुनाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक पद जीता। अपने चार बार के विधायक कार्यकाल के दौरान वे पंजाब सरकार में परिवहन, खेल और पर्यटन मंत्री रहे।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान: राज्यसभा और लोकसभा
ढींढसा ने राज्यसभा में तीन बार (1998–2004, 2010–2016, 2016–2022) प्रतिनिधित्व किया। वे 2004 से 2009 तक संगरूर से लोकसभा सांसद भी रहे।

2000 से 2004 तक, उन्होंने वाजपेयी सरकार में केंद्रीय खेल एवं रसायन मंत्री के रूप में सेवा दी और राष्ट्रीय नीतियों में योगदान दिया।

पद्म भूषण और किसान आंदोलन में समर्थन

राष्ट्र सम्मान और प्रतिरोध की मिसाल
2019 में, उन्हें पद्म भूषण (भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान) प्रदान किया गया। लेकिन 2020 में, उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में यह सम्मान लौटा दिया

इस कदम ने उन्हें जनता और विशेष रूप से किसानों के प्रति प्रतिबद्ध नेता के रूप में स्थापित किया।

अकाली दल से दूरी और राजनीतिक पुनर्गठन

सुखबीर सिंह बादल से मतभेद और अलग राह
सितंबर 2018 में, उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और फरवरी 2020 में उन्हें और उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींढसा को SAD से निष्कासित कर दिया गया।

SAD (संयुक्त) का गठन
जुलाई 2020 में, उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) की स्थापना की, जिसने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और भाजपा के साथ 2022 विधानसभा चुनावों में गठबंधन किया। लेकिन यह गठबंधन एक भी सीट नहीं जीत सका

वापसी, अस्वीकृति और धार्मिक परिणाम

पुनः SAD में शामिल होना और दूसरा निष्कासन
मार्च 2024 में, उन्होंने अपनी पार्टी को SAD में विलीन कर दिया, लेकिन अपने बेटे को लोकसभा टिकट न मिलने से वे असंतुष्ट हो गए। जुलाई 2024 में, वे अकाली दल सुधार लहर के संरक्षक बने, जिससे SAD के साथ उनका टकराव और गहरा गया। उन्हें दूसरी बार निष्कासित किया गया।

अकाल तख्त द्वारा धार्मिक सजा
2 दिसंबर 2024 को, अकाल तख्त ने 2007–2017 के SAD–BJP शासनकाल में उठे विवादों को लेकर सुखबीर सिंह बादल और सुखदेव सिंह ढींढसा दोनों को धार्मिक सजा दी। यह दोनों नेताओं की धार्मिक और राजनीतिक साख के लिए एक बड़ा झटका था।

राजनीतिक दिग्गज की विरासत

ढींढसा का पांच दशक लंबा राजनीतिक सफर

  • सबसे युवा सरपंच

  • चार बार विधायक और कैबिनेट मंत्री

  • राज्यसभा और लोकसभा सांसद

  • केंद्रीय मंत्री

  • पद्म सम्मानित

  • और अंततः एक सिद्धांतवादी जन नेता

उनकी मजदूर और किसान हितैषी छवि, जन सरोकारों से जुड़ाव, और राजनीतिक मूल्यों के लिए संघर्ष उन्हें पंजाब और देश की राजनीति में एक युगद्रष्टा नेता के रूप में स्मरणीय बनाते हैं। उनका निधन अकाली आंदोलन और पंजाब की राजनीतिक चेतना के एक युग के अंत का संकेत है।

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