उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगा और शारदा नदियों के किनारे धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए कॉरिडोर विकसित करने की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य न केवल बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना है बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करना भी है।
गंगा और शारदा नदियां करोड़ों भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती हैं। उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ कहा जाता है, और यहां के पवित्र स्थलों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए इन नदी कॉरिडोर का विकास एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
सीएम धामी ने कहा:
“हमारी डबल इंजन सरकार इन पवित्र नदियों के किनारे कॉरिडोर विकसित कर धार्मिक पर्यटन को सुलभ और सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
इस परियोजना के तहत:
बुनियादी ढांचे में सुधार – सड़कों, तीर्थ स्थलों, और सुविधाओं का विकास।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा – हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों की यात्रा को आसान बनाना।
सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण – प्राचीन मंदिरों, घाटों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा।
आर्थिक विकास को बढ़ावा – स्थानीय व्यवसाय, होटल, और परिवहन सेवाओं के लिए नए अवसर।
इस पहल के माध्यम से उत्तराखंड को आध्यात्मिक पर्यटन के लिए विश्वस्तरीय गंतव्य के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है।
हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव में मुख्यमंत्री धामी ने प्राचीन भारतीय शास्त्रों की वैज्ञानिक उपयोगिता को रेखांकित किया।
उन्होंने बताया कि भारतीय गणितज्ञों और वैज्ञानिकों ने अनेक महत्वपूर्ण खोजें कीं, जिनमें शामिल हैं:
शून्य और दशमलव प्रणाली – आधुनिक गणित और कंप्यूटिंग का आधार।
गणित के क्षेत्र में योगदान – अंकगणित, बीजगणित, और ज्यामिति के सूत्र।
खगोलशास्त्र और चिकित्सा विज्ञान – सुश्रुत संहिता और आर्यभटीय जैसे ग्रंथों का योगदान।
सीएम धामी ने योग, प्राणायाम और ध्यान को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उत्तराखंड सरकार भी इस दिशा में अपनी भूमिका निभा रही है।
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