छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 26 जुलाई 2025 को देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास के सभागार में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ‘सस्टेनेबल वेलनेस ऑफ स्टूडेंट्सः अ कलेक्टिव रिस्पॉन्सिबिलिटी इन हायर एजुकेशन‘ नामक पुस्तक का विमोचन किया। यह पहल उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा झेली जा रही मानसिक और सामाजिक चुनौतियों को समझने और उनके समाधान की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन में छात्रों पर पड़ने वाले दबावों की चर्चा करते हुए कहा कि संस्थानों को ज्ञान के साथ-साथ कल्याण के केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने पुस्तक के प्रकाशन की सराहना की और इसके हिंदी संस्करण की आवश्यकता जताई, ताकि इसके विचार राज्य और देश भर के व्यापक छात्र समुदाय तक पहुंच सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड NEP को लागू करने वाला पहला राज्य बना। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास के साथ-साथ राज्य अब छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रहा है, जो समग्र शिक्षा प्रणाली की दिशा में एक मजबूत कदम है।
‘सस्टेनेबल वेलनेस ऑफ स्टूडेंट्सः अ कलेक्टिव रिस्पॉन्सिबिलिटी इन हायर एजुकेशन‘ नामक इस पुस्तक का संपादन प्रो. लता पांडे (प्रमुख, गृह विज्ञान विभाग, डीएसबी परिसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय) और डॉ. रमाआनंद (निदेशक, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, नई दिल्ली) ने संयुक्त रूप से किया है।
यह पुस्तक छात्र कल्याण की गहराई से पड़ताल करती है और निम्नलिखित विषयों पर प्रकाश डालती है:
मानसिक स्वास्थ्य सहायता और परामर्श
कौशल विकास एवं करियर मार्गदर्शन
पुनर्वास और सामाजिक उत्थान की पहलें
शिक्षकों, प्रशासन, अभिभावकों और नीति-निर्माताओं की सक्रिय भूमिका
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक प्रो. कमल किशोर पांडे भी कार्यक्रम में उपस्थित थे और उन्होंने राज्य सरकार की छात्र-अनुकूल नीतियों और सहायता प्रणालियों के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।
इस पुस्तक का विमोचन ऐसे समय में हुआ है जब दुनियाभर में छात्र मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं का सामना कर रहे हैं। यह पहल छात्र कल्याण को सामूहिक उत्तरदायित्व के रूप में प्रस्तुत करती है, जिससे एक समावेशी और सहायक शैक्षिक वातावरण का निर्माण हो सके, जहाँ छात्र शैक्षणिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से समृद्ध हो सकें।
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