अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर नए टैरिफ (शुल्क) लगाए हैं, यह कहते हुए कि भारत के साथ व्यापार असंतुलन अनुचित है और भारत रूस से तेल आयात जारी रखे हुए है। कुछ ही घंटों बाद, उन्होंने पाकिस्तान के साथ एक समझौता घोषित किया, जिसके तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान के अप्रयुक्त तेल भंडारों का विकास करेंगे। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत ब्रिक्स (BRICS) समूह का सदस्य है, जिसे ट्रंप ने “संयुक्त राज्य अमेरिका विरोधी” करार दिया।
उम्मीदें
यह समझौता अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक दुर्लभ आशा की किरण है, जो पारंपरिक रूप से सुरक्षा चिंताओं से घिरे रहे हैं। पाकिस्तान के लिए यह ऊर्जा क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में संभावित बढ़ोतरी का संकेत देता है। अमेरिका के लिए यह एशिया में अपनी रणनीतिक पकड़ को मजबूत करता है और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के विरुद्ध संतुलन स्थापित करता है।
समझौते के उद्देश्य
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी सहयोग से पाकिस्तान के तेल भंडारों का विकास करना है और भविष्य में भारत को निर्यात की संभावनाएं तलाशना है। यह वाशिंगटन की व्यापक ऊर्जा सहयोग और व्यापार संतुलन रणनीति के अनुरूप है, जो अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में भी कदम है।
मुख्य बिंदु
1 अगस्त 2025 से भारतीय आयात पर 25% टैरिफ लागू।
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच “विशाल तेल भंडारों” की खोज और विकास के लिए समझौता।
भविष्य में पाकिस्तान से भारत को तेल निर्यात की संभावना।
यह समझौता पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और अमेरिकी अधिकारियों के बीच हुई पिछली बैठकों के बाद आया है।
ट्रंप ने टैरिफ के निर्णय को भारत की ब्रिक्स में भूमिका से भी जोड़ा।
भारत पर प्रभाव
भारत के लिए, ये टैरिफ आयात लागत को बढ़ाएंगे और अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को तनावपूर्ण बना सकते हैं। पाकिस्तान के लिए यह समझौता आर्थिक अवसरों के नए द्वार खोल सकता है और वॉशिंगटन के साथ संबंधों को मजबूत कर सकता है। अमेरिका को दक्षिण एशिया में एक रणनीतिक सहयोगी मिल सकता है, जिससे वह ब्रिक्स और चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के प्रभाव का मुकाबला कर सकेगा। क्षेत्रीय स्तर पर, यह कदम 2025 की शुरुआत में हुए भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम को भी प्रभावित कर सकता है।
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