अमेरिका ने आयातित कारों और ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ लगाया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित कारों और ऑटोमोबाइल घटकों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो अगले सप्ताह से प्रभावी होगा। इस निर्णय के वैश्विक प्रभाव देखने को मिलेंगे, खासकर यूरोपीय संघ (EU), कनाडा, भारत और चीन जैसे बाजारों में। भारतीय वाहन निर्माता कंपनियों पर तत्काल प्रभाव सीमित रह सकता है, लेकिन ऑटो कंपोनेंट और टायर निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिकी टैरिफ नीति और वैश्विक प्रभाव

ट्रंप की व्यापार नीति

डोनाल्ड ट्रंप की यह नीति अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई है। विदेशी वाहनों और घटकों को महंगा करने से कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

अन्य देशों की प्रतिक्रिया

  • EU, कनाडा और चीन इस कदम की आलोचना कर रहे हैं और संभावित रूप से जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं।

  • अमेरिका को बड़े पैमाने पर कारों और ऑटो पार्ट्स निर्यात करने वाले देश व्यापार समझौतों की समीक्षा कर सकते हैं।

  • अमेरिकी उपभोक्ताओं को कारों की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है, जिससे प्रति वाहन $6,000 तक अतिरिक्त लागत बढ़ सकती है।

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर पर प्रभाव

भारतीय वाहन निर्माताओं पर सीमित प्रभाव

  • अमेरिका भारतीय यात्री वाहनों और ट्रकों के लिए एक बड़ा बाजार नहीं है, क्योंकि यह कुल वाहन निर्यात का 1% से भी कम हिस्सा बनाता है।

  • भारत मुख्य रूप से दाएं-हाथ ड्राइव वाले वाहन निर्यात करता है, जो मुख्य रूप से पश्चिम एशिया, दक्षिण अफ्रीका, SAARC देशों और अफ्रीकी बाजारों में बेचे जाते हैं।

  • दोपहिया वाहन उद्योग पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत के प्रमुख निर्यात बाजार दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका हैं।

ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं के लिए चुनौतियाँ

  • अमेरिका को भारतीय ऑटो कंपोनेंट का निर्यात $2.2 बिलियन है, जो कुल भारतीय ऑटो पार्ट निर्यात का 29% है।

  • टायर निर्यात ₹4,259 करोड़ (~$500 मिलियन) का है, जो कुल टायर निर्यात का 17% है।

  • “चाइना+1” रणनीति के तहत भारतीय कंपनियों को पहले लाभ मिला था, लेकिन टैरिफ से ये लाभ प्रभावित हो सकते हैं।

  • प्रभावित कंपनियाँ:

    • सोना कॉमस्टार (टेस्ला को पुर्जे सप्लाई करती है)

    • सुंदरम फास्टनर्स (जनरल मोटर्स के पावरट्रेन कंपोनेंट बनाती है)

    • टाटा मोटर्स (जगुआर लैंड रोवर) की अमेरिकी बिक्री पर असर पड़ सकता है

भारतीय टायर उद्योग की प्रतिक्रिया

  • अमेरिका भारतीय टायरों के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार रहा है।

  • ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ATMA) के महानिदेशक राजीव बुढ़राजा के अनुसार, भारतीय टायर प्रतिस्पर्धात्मक लागत और गुणवत्ता के कारण प्रभाव का सामना कर सकते हैं।

  • यदि सभी देशों पर समान टैरिफ लगाया जाता है, तो भारतीय टायर अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रख सकते हैं।

अमेरिका में भारतीय कंपनियों के निवेश का भविष्य?

  • ट्रंप का उद्देश्य वैश्विक कंपनियों को अमेरिका में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है।

  • भारतीय कंपनियाँ अमेरिकी बाजार में निवेश करके इन टैरिफ से बच सकती हैं।

  • विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र लगाने वाली कंपनियों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकते हैं।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित कारों और ऑटो कंपोनेंट्स पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की।
वैश्विक प्रभाव EU, कनाडा और चीन ने इस कदम की आलोचना की और संभावित रूप से जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं। अमेरिकी उपभोक्ताओं को प्रति वाहन $6,000 तक कीमत बढ़ने का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय वाहन निर्माताओं पर प्रभाव न्यूनतम प्रभाव, क्योंकि अमेरिका भारत के कुल वाहन निर्यात का 1% से भी कम हिस्सा बनाता है।
भारतीय ऑटो पार्ट्स उद्योग पर प्रभाव $2.2 बिलियन मूल्य के ऑटो कंपोनेंट्स अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं (कुल का 29%)। प्रभावित कंपनियाँ: सोना कॉमस्टार, सुंदरम फास्टनर्स, टाटा मोटर्स (JLR की अमेरिका में बिक्री)।
भारतीय टायर उद्योग पर प्रभाव अमेरिका भारत के कुल टायर निर्यात का 17% हिस्सा रखता है (~₹4,259 करोड़ या $500 मिलियन)। भारतीय टायर लागत और गुणवत्ता में प्रतिस्पर्धात्मक बने रह सकते हैं।
विदेशी संयंत्रों वाली कंपनियाँ मेक्सिको में विनिर्माण इकाइयों वाली भारतीय कंपनियों को आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ भारतीय कंपनियाँ अमेरिकी उत्पादन इकाइयों में निवेश कर सकती हैं ताकि टैरिफ छूट का लाभ उठा सकें।

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vikash

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