देश की डिजिटल भुगतान क्रांति की रीढ़, भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) ने जून 2025 में ₹24.04 लाख करोड़ मूल्य के 18.40 बिलियन लेनदेन दर्ज किए। हालांकि यह मई के आंकड़ों से थोड़ी गिरावट दर्शाता है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर UPI की परिपक्व और स्थिर वृद्धि को उजागर करता है, भले ही वार्षिक आंकड़े मजबूत विस्तार प्रदर्शित करना जारी रखते हैं।
समाचार में क्यों?
भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति की रीढ़ बन चुका यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने जून 2025 में 18.40 अरब लेनदेन किए, जिनकी कुल राशि ₹24.04 लाख करोड़ रही। हालांकि यह आंकड़ा मई 2025 से थोड़ा कम है, लेकिन वर्ष-दर-वर्ष आधार पर इसमें मजबूत वृद्धि बनी हुई है, जो UPI के परिपक्व और स्थिर होते डिजिटल ढांचे को दर्शाता है।
मासिक बनाम वार्षिक तुलना:
जून 2025:
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लेनदेन संख्या: 18.40 अरब
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कुल मूल्य: ₹24.04 लाख करोड़
मई 2025:
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लेनदेन संख्या: 18.68 अरब
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कुल मूल्य: ₹25.14 लाख करोड़
वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि (जून 2024 की तुलना में):
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लेनदेन संख्या में वृद्धि: 32%
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लेनदेन मूल्य में वृद्धि: 20%
जून 2025 का औसत दैनिक प्रदर्शन:
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दैनिक लेनदेन: ~61.3 करोड़
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दैनिक मूल्य: ~₹80,131 करोड़
विशेषज्ञों की राय:
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दीपक चंद ठाकुर (CEO, NPST):
“यह गिरावट मंदी नहीं, बल्कि परिमाण की संतृप्ति (scale saturation) का संकेत है। आगे की वृद्धि UPI पर क्रेडिट, IoT आधारित भुगतान, B2B और वैश्विक विस्तार पर निर्भर करेगी।” -
रमाकृष्णन राममूर्ति (COO, वर्ल्डलाइन इंडिया):
“यह मौसमी गिरावट है, जो सामान्यतः वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में देखी जाती है। Q2 से वृद्धि फिर से तेज़ होने लगती है।”
पृष्ठभूमि और स्थायी तथ्य:
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UPI की शुरुआत: 2016 में NPCI द्वारा की गई।
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प्रणाली: मोबाइल के ज़रिए तत्काल बैंक-से-बैंक भुगतान की सुविधा।
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नियमन: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा।
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अंतरराष्ट्रीय विस्तार: UAE, सिंगापुर, फ्रांस जैसे कई देशों में शुरू।
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नवाचार: UPI Lite, क्रेडिट ऑन UPI, ऑफलाइन UPI भुगतान आदि लगातार बढ़ावा पा रहे हैं।
इस गिरावट का महत्व:
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मासिक आंकड़ों में मामूली गिरावट, कमज़ोरी नहीं, बल्कि UPI के परिपक्व चरण में प्रवेश का संकेत है।
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UPI का विस्तार अब नई श्रेणियों जैसे B2B, अंतरराष्ट्रीय भुगतान, और IoT आधारित ट्रांजैक्शन की ओर हो रहा है।
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भारत का UPI मॉडल अब वैश्विक रीयल-टाइम भुगतान प्रणालियों के लिए एक उदाहरण बन चुका है।
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डिजिटल इंडिया के विज़न को मज़बूती मिल रही है और वित्तीय समावेशन को नया आयाम मिल रहा है।
निष्कर्ष:
जून 2025 की मामूली गिरावट को UPI की थकान नहीं, बल्कि स्थिरता और परिपक्वता का प्रतीक मानना चाहिए। यह प्रणाली भारत के डिजिटलीकरण के भविष्य की दिशा तय कर रही है।