संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून 2025 को बहरीन, कोलंबिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), लातविया, और लाइबेरिया को UNSC के नए अस्थायी सदस्य के रूप में चुना। इनका कार्यकाल जनवरी 2026 से दिसंबर 2027 तक रहेगा। विशेष रूप से, लातविया पहली बार सुरक्षा परिषद का सदस्य बना है, जो उसके लिए एक बड़ा कूटनीतिक उपलब्धि है।
समाचार में क्यों?
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चुनाव की तारीख: 3 जून 2025
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मंच: संयुक्त राष्ट्र महासभा
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उद्देश्य: सुरक्षा परिषद के पाँच अस्थायी सदस्यों का चुनाव
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महत्त्वपूर्ण बिंदु: लातविया का पहला बार चुना जाना
चुनाव का उद्देश्य
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15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में 5 घूर्णन (rotating) अस्थायी सीटों को भरना
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क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना (संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार)
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वैश्विक शांति व सुरक्षा में सभी क्षेत्रों की भागीदारी बढ़ाना
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बहुपक्षीय कूटनीति (Multilateral Diplomacy) को मजबूत करना
UNSC चुनाव 2025 – परिणाम और वोटिंग विवरण
क्षेत्र | देश | प्राप्त वोट (188 सदस्य देशों ने मतदान किया) |
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अफ्रीका और एशिया-प्रशांत | बहरीन | 186 वोट |
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) | 183 वोट | |
लाइबेरिया | 181 वोट | |
पूर्वी यूरोप | लातविया | 178 वोट (पहली बार चुना गया) |
लैटिन अमेरिका और कैरिबियन | कोलंबिया | 180 वोट |
चुनाव में विजयी होने के लिए कुल 193 सदस्य देशों में से दो-तिहाई बहुमत (कम से कम 129 वोट) आवश्यक होता है।
UNSC की संरचना – पृष्ठभूमि जानकारी
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स्थायी सदस्य (P5): चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका
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अस्थायी सदस्य: 10 देश, दो साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं
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कार्यकाल समाप्त होने वाले सदस्य (दिसंबर 2025): अल्जीरिया, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया
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2024 में चुने गए वर्तमान सदस्य (कार्यकाल: 2024-2026): डेनमार्क, ग्रीस, पाकिस्तान, पनामा, सोमालिया
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व (10 अस्थायी सीटों में से):
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अफ्रीका: 3 सीटें
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एशिया-प्रशांत: 2 सीटें
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लैटिन अमेरिका व कैरिबियन: 2 सीटें
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पश्चिमी यूरोप व अन्य: 2 सीटें
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पूर्वी यूरोप: 1 सीट
चुनाव का महत्व
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लातविया का पदार्पण: UNSC में पहली बार शामिल होना लातविया के लिए कूटनीतिक उपलब्धि है
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कोलंबिया: सातवीं बार चुना गया, वैश्विक शांति प्रयासों में इसकी सक्रिय भूमिका को दर्शाता है
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DRC, बहरीन, लाइबेरिया: क्षेत्रीय अनुभव और विविध दृष्टिकोण लाएंगे
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बहुपक्षीयता की मजबूती: विभिन्न देशों का चुनाव वैश्विक शासन में समावेशिता को बढ़ावा देता है
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शांति एवं सुरक्षा में योगदान: नए सदस्य विश्व संघर्ष, प्रतिबंधों, शांति मिशनों और भू-राजनीतिक संकटों पर निर्णय लेने में भाग लेंगे