रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सरकार आने वाले महीनों में दो नए रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना करने जा रही है — एक महाराष्ट्र में और दूसरा असम में। यह निर्णय 2018 में शुरू किए गए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के दो मौजूदा गलियारों की सफलता के बाद लिया गया है, जिन्होंने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है।
पृष्ठभूमि: भारत में रक्षा औद्योगिक गलियारे
रक्षा औद्योगिक गलियारों की अवधारणा 2017–18 में पेश की गई थी, ताकि रक्षा विनिर्माण और नवाचार के लिए विशेष केंद्र विकसित किए जा सकें। इसके उद्देश्य थे —
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स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना: आयात पर निर्भरता कम कर मजबूत घरेलू विनिर्माण आधार बनाना।
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नवाचार को प्रोत्साहन: उन्नत रक्षा तकनीकों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना।
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रोज़गार सृजन: विनिर्माण, इंजीनियरिंग और सहायक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध कराना।
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सहयोग को बढ़ावा देना: सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs), निजी कंपनियों, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों को एक मंच पर लाना।
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निवेश आकर्षित करना: घरेलू और विदेशी पूंजी को आमंत्रित करना।
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निर्यात क्षमता: भारत को वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करना।
मौजूदा गलियारे: सफलता की कहानियां
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उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा
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नोड्स: लखनऊ, कानपुर, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, आगरा
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मजबूती: औद्योगिक बुनियादी ढांचा, कुशल जनशक्ति और उत्कृष्ट संपर्क व्यवस्था।
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तमिलनाडु रक्षा गलियारा
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नोड्स: चेन्नई, होसुर, कोयंबटूर, सलेम, तिरुचिरापल्ली (त्रिची)
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मजबूती: मजबूत विनिर्माण आधार, कुशल कार्यबल और बंदरगाह तक पहुंच।
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नए गलियारे: महाराष्ट्र और असम
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महाराष्ट्र गलियारा
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प्रस्तावित तीन औद्योगिक क्लस्टर:
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संभाजीनगर–अहिल्यानगर–पुणे
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नाशिक–धुले
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नागपुर
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यह राज्य के मौजूदा औद्योगिक ढांचे, विशेषकर ऑटोमोबाइल और प्रिसीजन इंजीनियरिंग क्षेत्र की क्षमता पर आधारित होगा।
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असम गलियारा
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स्थान अभी तय नहीं हैं, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 2025 की शुरुआत से इस परियोजना के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं।
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यह गलियारा —
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पूर्वी सीमा क्षेत्र की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
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पूर्वोत्तर में आर्थिक अवसर पैदा करेगा।
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मेक इन इंडिया पहल को मजबूती देगा।
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रक्षा उत्पादन में मौजूदा उपलब्धियां
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन ₹1,50,590 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% अधिक और 2019–20 की तुलना में 90% वृद्धि है।
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सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान: 77% (डीपीएसयू और अन्य पीएसयू)
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निजी क्षेत्र का योगदान: 23% (पिछले वर्ष के 21% से अधिक)
नए गलियारों का सामरिक महत्व
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संतुलित क्षेत्रीय विकास: पश्चिम (महाराष्ट्र) और पूर्व (असम) के गलियारे उत्तर–दक्षिण नेटवर्क को पूरक करेंगे।
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बढ़ी हुई रक्षा क्षमता: सामरिक सीमाओं और परिचालन कमांड के निकटता से लाभ।
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निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन: विनिर्माण और नवाचार में भागीदारी बढ़ेगी।