वन्यजीव संरक्षण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के एकीकरण ने शिकार-विरोधी रणनीतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाया है, जिससे अवैध शिकार की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। इस क्षेत्र में सबसे प्रमुख नवाचारों में से एक TrailGuard AI है, जो एक अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली है, जिसे अवैध शिकार की पहचान और रोकथाम के लिए विकसित किया गया है।
इस तकनीक के सफल कार्यान्वयन का एक उत्कृष्ट उदाहरण ओडिशा का सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व है, जहाँ अधिकारियों ने वन्यजीव संरक्षण और सुरक्षा पर इसके प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा है। यह लेख सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के महत्व, अवैध शिकार से निपटने में TrailGuard AI की भूमिका, इसकी कार्यप्रणाली, स्थानीय समुदायों पर प्रभाव और भविष्य में इसके संभावित अनुप्रयोगों की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित है और यह राज्य के उत्तरी भाग में फैला हुआ है। यह 2,750 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र को कवर करता है, जिससे यह भारत के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में से एक बन जाता है।
सिमिलिपाल का पारिस्थितिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है:
TrailGuard AI एक अत्याधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित निगरानी प्रणाली है, जिसे वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों में अवैध शिकार और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए विकसित किया गया है।
TrailGuard AI के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में कार्यान्वयन से महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं:
AI निगरानी प्रणाली की तैनाती के कारण स्थानीय ग्रामीणों पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ा है:
समस्या को हल करने के लिए वन विभाग ने कई सामुदायिक कार्यक्रम शुरू किए हैं:
सिमिलिपाल में TrailGuard AI की सफलता को देखते हुए, अन्य राज्यों में भी इस तकनीक को अपनाने की रुचि बढ़ रही है:
TrailGuard AI तकनीक वन्यजीव संरक्षण में एक नई क्रांति ला रही है और इसके विस्तार से भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा और अवैध शिकार की रोकथाम में महत्वपूर्ण प्रगति होने की संभावना है।
| खंड | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | वन्यजीव संरक्षण में एआई के एकीकरण से अवैध शिकार की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व ने TrailGuard AI नामक निगरानी प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे शिकारियों की पहचान और रोकथाम में मदद मिली है। |
| स्थान और भूगोल | – मयूरभंज जिला, ओडिशा (राज्य का उत्तरी भाग)। – 2,750 वर्ग किमी क्षेत्र, प्रसिद्ध जलप्रपात झोरंडा और बरेहीपानी यहाँ स्थित हैं। – मयूरभंज हाथी रिजर्व का हिस्सा, जिसमें हदगढ़ और कुलडिहा वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं। – पहाड़ी और लहरदार भूभाग, जिसमें घास के मैदान और वन शामिल हैं। |
| इतिहास और संरक्षण स्थिति | – 1973 में “प्रोजेक्ट टाइगर” के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। – 1979 में वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा प्राप्त हुआ। – 1980 में 303 वर्ग किमी कोर क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में प्रस्तावित किया गया। – 2009 में यूनेस्को ने इसे “बायोस्फीयर रिजर्व” घोषित किया। |
| TrailGuard AI क्या है? | – एक एआई-सक्षम निगरानी प्रणाली, जिसमें 100-150 कैमरे लगे होते हैं। – अवैध शिकार और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों का पता लगाने और रोकथाम में मदद करता है। |
| TrailGuard AI कैसे काम करता है? | – मोशन डिटेक्शन और इमेज कैप्चर: कैमरे कम ऊर्जा मोड में रहते हैं और गतिविधि होने पर सक्रिय होकर उच्च-गुणवत्ता वाली छवियाँ कैप्चर करते हैं। – एआई आधारित छवि विश्लेषण: AI मॉडल का उपयोग करके मनुष्यों, जानवरों और वाहनों की पहचान करता है। – रियल-टाइम खतरे की प्रतिक्रिया: 30-40 सेकंड में अलर्ट कंट्रोल रूम को भेजा जाता है, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव होती है। |
| अवैध शिकार पर प्रभाव | – पिछले वर्ष में 96 शिकारी गिरफ्तार और 86 हथियार जब्त किए गए। – फोटो आइडेंटिफिकेशन तकनीक से बार-बार अपराध करने वालों को पकड़ने में मदद मिली। – निरंतर उपयोग से अवैध शिकार में 80% तक की कमी का अनुमान। |
| स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग | – एआई निगरानी के कारण ग्रामीण जंगल में जाने से हिचकिचाते हैं, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है। – वन विभाग की पहल: जागरूकता कार्यक्रम, सामुदायिक संवाद, और वैकल्पिक रोजगार कार्यक्रम। |
| भविष्य की संभावनाएँ | – मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने TrailGuard AI को अपनाना शुरू किया। – संभावित उपयोग: मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान और लुप्तप्राय प्रजातियों की निगरानी। |
| TrailGuard AI के लाभ | – छोटा और टिकाऊ डिज़ाइन – इसे छिपाना आसान, जिससे क्षति या चोरी की संभावना कम होती है। – लंबी बैटरी लाइफ – 6 महीने से 1 वर्ष तक कार्य करने में सक्षम। – कम लागत और प्रभावी निगरानी – बड़े पैमाने पर संरक्षण प्रयासों के लिए किफायती। – रियल-टाइम ट्रैकिंग और त्वरित अलर्ट – सुरक्षा और निगरानी को अधिक प्रभावी बनाता है। |
| निष्कर्ष | TrailGuard AI वन्यजीव संरक्षण में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला उपकरण है। सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में इसकी सफलता से यह तकनीक अन्य राज्यों में भी अपनाई जा सकती है, जिससे भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा की जा सकेगी। |
मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…
भारत विश्व की कुल जैव विविधता का लगभग 8% हिस्सा अपने भीतर समेटे हुए है।…
भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने 3 दिसंबर 2025 को घोषणा की कि फ्लिपकार्ट के वरिष्ठ…
पूर्वोत्तर भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण…
भारत की समृद्ध धरोहर, स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विविधता हर वर्ष लाखों यात्रियों को आकर्षित…