तेलंगाना सरकार ने भूमि शासन में ऐतिहासिक सुधार की शुरुआत की है – इसके तहत तेलंगाना भू भारती (अधिकार अभिलेख) अधिनियम, 2025 को लागू किया गया है। यह अधिनियम पूर्ववर्ती धरनी पोर्टल प्रणाली में आई खामियों और नागरिकों की व्यापक शिकायतों को दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है। भू भारती अधिनियम का मूल उद्देश्य भूमि प्रशासन को अधिक पारदर्शी, कुशल और समावेशी बनाना है। यह अधिनियम विकेंद्रीकरण और नागरिक भागीदारी को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है, जिससे भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली को जनोन्मुखी और भरोसेमंद बनाया जा सके।
पृष्ठभूमि: धरनी पोर्टल की समस्याएं
2020 में शुरू किया गया धरनी पोर्टल भूमि लेन-देन के लिए एक एकीकृत डिजिटल मंच के रूप में स्थापित किया गया था, जिसमें भूमि अभिलेखों को ऑनलाइन पंजीकरण सेवाओं के साथ जोड़ा गया था। हालांकि, इसके कार्यान्वयन के दौरान कई गंभीर खामियां सामने आईं, जिससे राज्य भर में हज़ारों भूमि मालिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
मुख्य समस्याएं थीं:
अभिलेखों में गड़बड़ी: कई भूमि मालिकों ने कृषि और गैर-कृषि भूमि की गलत श्रेणीकरण, सर्वे नंबरों की अनुपस्थिति, और स्वामित्व डेटा में असंगति की शिकायत की।
न्याय तक सीमित पहुंच: पहले की प्रणाली में स्थानीय स्तर पर शिकायत निवारण की व्यवस्था नहीं थी, जिससे लोगों को सिविल कोर्ट का सहारा लेना पड़ा — जिससे देरी और खर्च दोनों बढ़े।
केंद्रीकृत शिकायत प्रणाली: अत्यधिक केंद्रीकृत व्यवस्था के कारण ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लोगों को समय पर समाधान नहीं मिल पाया, जिससे असंतोष और विरोध हुआ।
भू भारती अधिनियम, 2025 को धरनी प्रणाली के खिलाफ जनता के आक्रोश के जवाब में लाया गया है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:
शिकायत निवारण प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण कर इसे नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बनाना।
भूमि अभिलेखों में त्रुटियों का सुधार और स्वामित्व व भूमि वर्गीकरण की सटीकता सुनिश्चित करना।
विवाद रहित भूमि लेनदेन हेतु मजबूत कानूनी और प्रशासनिक ढांचा तैयार करना।
किसानों और ग्रामीण ज़मीन मालिकों के लिए सेवाएं नि:शुल्क कर आर्थिक बाधाएं हटाना।
यह अधिनियम किसानों, नागरिक संगठनों और विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद तैयार किया गया है, जो सहभागी नीति निर्माण की दिशा में एक अहम कदम है।
1. भूमि अभिलेखों में त्रुटि सुधार
अब भूमि अभिलेखों की त्रुटियों — जैसे गलत स्वामित्व, सर्वे नंबर की असंगति, भूमि की गलत श्रेणीकरण — को मंडल और ज़िला स्तर पर ठीक किया जाएगा, जिससे समाधान जल्दी और स्थानीय स्तर पर मिलेगा।
2. अनिवार्य सर्वेक्षण और डिजिटल मैपिंग
पंजीकरण या म्युटेशन से पहले व्यापक सर्वेक्षण और डिजिटल नक्शांकन अनिवार्य है, जिससे सीमाएं स्पष्ट होंगी और भविष्य के विवादों में कमी आएगी।
3. सादा बयानों (Sada Bainamas) का वैधीकरण
जो लोग बिना पंजीकरण के ज़मीन खरीद-बिक्री (सादा बयान) के ज़रिये अधिकार रखते हैं, उन्हें जमीनी सच्चाई के आधार पर वैध स्वामित्व मिल सकेगा।
4. पैतृक संपत्तियों का समयबद्ध म्युटेशन
अब वारिसों के नाम पर संपत्ति स्थानांतरण बिना अनावश्यक कागज़ी कार्रवाई के स्वतः और समय पर होगा।
भू भारती अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान इसकी सरल और प्रभावी दो-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली है:
पहला स्तर: अधिनियम लागू होने के एक वर्ष के भीतर नागरिक अपने शिकायतें राजस्व मंडल अधिकारी (RDO) को दर्ज कर सकते हैं।
दूसरा स्तर: यदि शिकायत हल न हो, तो इसे जिला कलेक्टर के पास भेजा जा सकता है।
यह प्रणाली अदालत-आधारित मॉडल की जगह लेकर सस्ता, तेज़ और सुलभ समाधान देती है।
धरनी प्रणाली में शिकायत दर्ज कराने और बढ़ाने के लिए शुल्क लगता था। भू भारती अधिनियम सभी सेवा शुल्क समाप्त करता है, जिससे आर्थिक कठिनाइयों के चलते कोई भी किसान अपने अधिकारों से वंचित न रहे।
नई प्रणाली को पहले चार मंडलों में पायलट आधार पर शुरू किया गया, जिसकी समीक्षा के बाद इसे 2 जून (तेलंगाना स्थापना दिवस) तक पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
इसका उद्देश्य शिकायतों को रोकना, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण करना, और एक नागरिकोन्मुख प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिये भूमि लेनदेन को कुशल बनाना है।
इस अधिनियम के साथ ही, सरकार ने विस्तृत नियम और प्रक्रियाएं भी जारी की हैं, जो निम्न बिंदुओं को नियंत्रित करेंगी:
अद्यतन भूमि अभिलेखों का रख-रखाव
विवाद समाधान की प्रक्रिया
पारदर्शी और वैध भूमि लेनदेन
तेलंगाना भू भारती अधिनियम, 2025 राज्य की भूमि व्यवस्था को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और नागरिक-मित्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
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