टाटा स्टील योजना बना रही है कि उड़ीसा के कलिंगनगर के संयंत्र में एक 10 टन प्रति दिन पायलट प्लांट स्थापित करें जो ब्लास्ट फर्नेस फ्ल्यू गैस का उपयोग करके मीथेनॉल उत्पादित करेगा। इस पायलट प्लांट की सफलता भारत में मीथेनॉल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण रास्ता खोल सकती है। इस परियोजना का उद्देश्य स्टील मिल ब्लास्ट फर्नेस से कार्बन डाइऑक्साइड को इलेक्ट्रोलाइजर से हाइड्रोजन के साथ मिश्रित करके मीथेनॉल उत्पादित करने की संभावना का अन्वेषण करना है। इससे टाटा स्टील को इस प्रक्रिया की व्यवस्थिता की जांच करने और देश में मीथेनॉल उत्पादन के लिए एक और अधिक टिकाऊ दृष्टिकोण का संभव हो सकता है।
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डास्टुर एनर्जी के सीईओ अतनु मुखर्जी, जो कार्बन प्रौद्योगिकियों, सहयोग और भंडारण (सीसीयूएस) सहित कार्बन प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञ हैं, मेथेनॉल के भविष्य के बारे में बहुत आशावादी दृष्टिकोण रखते हैं। मुखर्जी का मानना है कि मेथेनॉल बायोएथेनॉल से भी बहुत बड़ी चीज होगी।
डास्टुर एनर्जी को हाल ही में टेक्सास में कार्बन कैप्चर परियोजना के लिए अमेरिकी ऊर्जा विभाग से $7.5 मिलियन (₹60 करोड़) की ठेकेदारी मिली है। यह कंपनी टाटा स्टील के पायलट मेथेनॉल प्लांट में भी शामिल है, जिससे इसकी कार्बन कैप्चर और मेथेनॉल उत्पादन प्रौद्योगिकियों में भागीदारी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
डास्टुर एनर्जी के सीईओ अतनु मुखर्जी हैं।
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