भारत की विमानन विनिर्माण क्षमताएं और भी अधिक बढ़ने वाली हैं, क्योंकि टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) और यूरोपीय एयरोस्पेस दिग्गज एयरबस ने देश की पहली निजी स्वामित्व वाली हेलीकॉप्टर फाइनल असेंबली लाइन (एफएएल) स्थापित करने के लिए हाथ मिलाया है। इस रणनीतिक कदम से भारत वैश्विक एयरोस्पेस मानचित्र पर आ गया है, जिससे स्वदेशी रक्षा और विमानन विनिर्माण केंद्र बनने की इसकी महत्वाकांक्षा को बल मिला है।
भारत की एविएशन निर्माण क्षमताओं को एक नई ऊँचाई मिलने जा रही है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और यूरोपीय एयरोस्पेस दिग्गज एयरबस के बीच समझौते के तहत देश की पहली निजी क्षेत्र की हेलीकॉप्टर फाइनल असेम्बली लाइन (FAL) स्थापित की जाएगी।
यह संयंत्र एयरबस H125 हेलीकॉप्टर बनाएगा – जो एक बहुउपयोगी और ऊंचे तापमान व ऊंचाई में प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध हल्का हेलीकॉप्टर है।
यह दुनिया का चौथा H125 असेम्बली प्लांट होगा – फ्रांस, अमेरिका, और ब्राज़ील के बाद।
कर्नाटक ने गुजरात, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसी अन्य दावेदारों को पछाड़ते हुए परियोजना को अपने राज्य में लाने में सफलता हासिल की। कारण:
बेंगलुरु के पास होने के कारण तकनीकी और लॉजिस्टिक लाभ
कोलार के वेमगल औद्योगिक क्षेत्र में पहले से मौजूद बुनियादी ढांचा
राज्य सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन जैसे भूमि सब्सिडी और पूंजी सहायता
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की उपस्थिति और प्रशिक्षित एयरोस्पेस कार्यबल
प्रारंभ में संयंत्र की उत्पादन क्षमता 10 H125 हेलीकॉप्टर प्रति वर्ष होगी।
भविष्य में बढ़ती मांग और निर्यात अवसरों के अनुसार उत्पादन में विस्तार किया जाएगा।
भारत में नागरिक विमानन, गृह सुरक्षा, और रक्षा आवश्यकताओं की बढ़ती ज़रूरतों के कारण घरेलू बाजार में भारी मांग की संभावना है।
पर्यटन एवं VIP परिवहन
मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं (EMS)
कानून व्यवस्था और पुलिसिंग
खोज और बचाव कार्य
औद्योगिक एवं यूटिलिटी सेवाएं
यह साझेदारी भारत के निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है, जो अब तक HAL और DRDO जैसे सार्वजनिक उपक्रमों पर निर्भर था।
प्रमुख एयरोस्पेस पुर्जों का स्वदेशी उत्पादन
कर्नाटक में उच्च-कुशल रोजगार के अवसर
एयरोस्पेस क्षेत्र में निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
भारत–यूरोप औद्योगिक सहयोग को बल
भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को देखते हुए, यह निवेश औद्योगिक आधार को सशक्त करने में मदद करेगा।
तकनीक हस्तांतरण, कौशल विकास, और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण से एक मजबूत एयरोस्पेस इकोसिस्टम तैयार होगा।
यह संयंत्र पहाड़ी और दूरदराज़ क्षेत्रों में छोटे वर्सेटाइल एयरक्राफ्ट की मांग को पूरा करने में मदद करेगा।
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