वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, तमिलनाडु वन विभाग ने ₹50 करोड़ के “लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण कोष” का प्रबंधन वंडलूर स्थित एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (AIWC) को सौंप दिया है। यह निर्णय पहले से नामित एजेंसी, स्टेट फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी (SFDA) में प्रशासनिक देरी और निष्क्रियता के कारण लिया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए आवंटित कोष का प्रभावी और समयबद्ध उपयोग हो सके।
समाचार में क्यों?
तमिलनाडु सरकार की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण योजना को नई गति मिली है, जब राज्य वन विभाग ने ₹50 करोड़ के “लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण कोष” की जिम्मेदारी वंडलूर स्थित एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (AIWC) को सौंप दी है। पहले यह जिम्मेदारी स्टेट फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी (SFDA) को दी गई थी, लेकिन उसकी निष्क्रियता के कारण यह निर्णय लिया गया।
पृष्ठभूमि और उद्देश्य
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यह कोष वर्ष 2024 में घोषित किया गया था, जिसकी कुल राशि ₹50 करोड़ है।
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प्रारंभिक प्रबंधन SFDA के जिम्मे था।
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कोष को अस्थायी रूप से तमिलनाडु पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन या तमिलनाडु ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन में रखा जाना था।
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उद्देश्य:
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लुप्तप्राय प्रजातियों का सर्वेक्षण, मूल्यांकन और मैपिंग करना।
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संरक्षण के लिए साझेदारी विकसित करना।
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पहचानी गई समस्या
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SFDA निष्क्रिय और कार्यक्षमता विहीन पाई गई, जिससे संरक्षण कार्य नहीं हो सके।
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एक नया ट्रस्ट या सोसाइटी बनाने की योजना पर भी 6 महीने की देरी के कारण रोक लगाई गई।
संशोधित प्रबंधन व्यवस्था
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अब यह कोष AIWC (एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन), वंडलूर को सौंपा गया है।
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AIWC हाल ही में एक पंजीकृत सोसाइटी बना है और अनुसंधान व संरक्षण कार्य के लिए प्रसिद्ध है।
प्रमुख संरक्षण लक्ष्य प्रजातियाँ
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सलीम अली का फ्रूट बैट
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मालाबार सिवेट
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व्हाइट-रंप्ड वल्चर
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नीलगिरी वॉर्ट फ्रॉग
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व्हाइट-स्पॉटेड बुश फ्रॉग
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अनामलाई फ्लाइंग फ्रॉग
महत्त्व
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यह निर्णय प्रशासनिक विलंब के बिना संवेदनशील प्रजातियों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करेगा।
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तमिलनाडु के जैव विविधता संरक्षण रोडमैप को सशक्त बनाएगा, खासकर संरक्षित क्षेत्र के बाहर की प्रजातियों के लिए।