ताजिकिस्तान में हिजाब पर आधिकारिक रोक लग गई है। 96 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले देश की संसद में यह फैसला लिया गया। नए संशोधनों के मुताबिक, कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
संसद के उच्च सदन ‘मजलिसी मिल्ली’ में विधेयक को औपचारिक मंजूरी दी गई है। विधेयक में विदेशी परिधानों को दो सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी छुट्टियों, ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अजहा के लिए बच्चों के उत्सवों में शामिल होने पर भी रोक लगा दी गई है। इस दौरान बच्चे लोगों को बधाई देने के लिए घरों से निकलते हैं। यह प्रस्ताव प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में संशोधन को मंजूरी के बाद पास हुआ है।
ताजिकिस्तान में हिजाब पर आधिकारिक रोक कई सालों के अनौपचारिक प्रतिबंध के बाद आई है। 2007 में शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के लिए इस्लामी परिधान और पश्चिमी स्टाइल की मिनी स्कर्ट दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में इस प्रतिबंध को सभी सार्वजनिक संस्थानों तक बढ़ा दिया था। अधिकारियों का कहना है कि हिजाब और अन्य इस्लामिक ड्रेस हाल के वर्षों में खाड़ी देशों से ताजिकिस्तान में आ रहे हैं और इसे बढ़ते चरमपंथ से जुड़ा माना जाता है।
रेडियो लिबर्टी की ताजिक सेवा ने बताया कि कानून में इसके उल्लंघन पर व्यक्तियों पर 7920 सोमोनी (ताजिक मुद्रा) जबकि कंपनियों पर 39,500 सोमोनी का जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, सरकारी अधिकारियों पर ज्यादा जुर्माना है। सरकारी और धार्मिक अधिकारियों पर दोष सिद्ध होने पर क्रमशः 54000 से 57,600 सोमोनी तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
हाल के वर्षों में ताजिकिस्तान की सरकार ने ताजिक राष्ट्रीय पोशाक पहनने को प्रोत्साहित करने के लिए अभियान शुरू किया है। कपड़ों को लेकर 2018 में एक गाइडबुक भी जारी की गई थी। 2017 में मोबाइल फोन पर सरकार से मिले संदेश में महिलाओं से ताजिक राष्ट्रीय पोशाक पहनने का आग्रह किया गया था।
हालांकि, ताजिकिस्तान में 96 फीसदी आबादी मुस्लिम है, लेकिन यहां पर मजहबी रीति रिवाजों को अपनाने पर जोर नहीं दिया जाता है। सरकार इसके पहले इस्लामिक तरीके से दाढ़ी रखने पर अनौपचारिक रोक लगा चुकी है।
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