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स्विट्जरलैंड ने भारत को दिया गया ‘पसंदीदा राष्ट्र’ का दर्जा किया सस्पेंड, जानें वजह

स्विट्जरलैंड ने भारत को दिया गया ‘सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र’ का दर्जा सस्पेंड कर दिया है। 1 जनवरी से स्विट्जरलैंड में भारतीय संस्थाओं के लाभांश पर 10% टैक्स लगेगा। इस यूरोपीय राष्ट्र ने भारत के साथ अपने दोहरे कराधान परिहार समझौते (डीटीएए) में सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) खंड को निलंबित कर दिया है।

स्विस वित्त विभाग ने 11 दिसंबर को जारी एक बयान में कहा कि यह कदम पिछले वर्ष भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई देश OECD (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) में शामिल हो जाता है और भारत ने उस देश के OECD सदस्य बनने से पहले उसके साथ संधि पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, तो MFN खंड लागू नहीं होगा।

क्या है ये मामला?

भारत ने कुछ खास तरह की आय पर कर दरों के लिए कोलंबिया और लिथुआनिया के साथ कर संधियों पर हस्ताक्षर किए, जो ओईसीडी देशों को दी जाने वाली दरों से कम थीं। बाद में कोलंबिया और लिथुआनिया भी इस समूह में शामिल हो गए। 2021 में, स्विट्जरलैंड ने यह व्याख्या की कि कोलंबिया और लिथुआनिया की OECD सदस्यता का अर्थ है कि MFN खंड के तहत भारत के साथ उसकी कर संधि पर लाभांश के लिए 5% की दर लागू होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये फैसला

अक्टूबर 2023 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत के फैसले को पलट दिया, और निष्कर्ष निकाला कि एमएफएन खंड की प्रयोज्यता आयकर अधिनियम की धारा 90 के अनुसार ‘अधिसूचना’ के अभाव में सीधे लागू नहीं थी। यह मामला नेस्ले से संबंधित था, जो एक स्विस बहुराष्ट्रीय खाद्य और पेय प्रसंस्करण समूह है।

समाचार का सारांश

विवरण विवरण
समाचार में क्यों? – भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) में MFN क्लॉज को निलंबित किया गया।
– भारतीय संस्थाओं के लिए स्विस लाभांश पर नई कर कटौती दर 1 जनवरी 2025 से 10% होगी।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला – 2023 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना की अनुपस्थिति में MFN क्लॉज लागू नहीं होगा।
पहले की कर कटौती दर – MFN क्लॉज के तहत पहले लाभांश पर कर कटौती दर 5% थी।
भारत-स्विट्ज़रलैंड कर संधि – भारत और स्विट्ज़रलैंड ने DTAA पर 30 अगस्त 2010 को हस्ताक्षर किए।
OECD सदस्यता का प्रभाव – कोलंबिया और लिथुआनिया ने 2018 और 2020 में OECD की सदस्यता ली, जिससे कर संधि की शर्तें प्रभावित हुईं।
नेस्ले केस का प्रभाव – 2023 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले मामले में MFN क्लॉज के तहत कर राहत को उलट दिया।
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