उच्च शिक्षण संस्थानों में बढ़ते छात्र आत्महत्याओं के मामलों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने छात्र मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया है। कोर्ट ने इन घटनाओं के पीछे के कारणों को समझने और प्रभावी समाधान विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह निर्णय 2023 में दो IIT दिल्ली छात्रों की दुखद मौतों के बाद आया, जिससे अकादमिक तनाव, जातिगत भेदभाव और अन्य संस्थागत समस्याओं पर कार्रवाई की मांग उठी।
पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस एस. रविंद्र भट की अध्यक्षता में गठित यह टास्क फोर्स छात्र आत्महत्याओं के कारणों की जांच करेगी, मौजूदा नीतियों का विश्लेषण करेगी और मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सिफारिशें देगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुख्य बिंदु:
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NTF का गठन: छात्र मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जांच और सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया।
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अध्यक्ष एवं सदस्य: जस्टिस एस. रविंद्र भट इस टास्क फोर्स की अध्यक्षता करेंगे, जबकि उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय, विधि और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के सचिव इसके पदेन सदस्य होंगे।
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उद्देश्य:
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छात्र आत्महत्याओं के मुख्य कारणों की पहचान करना।
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मौजूदा कानूनी और संस्थागत व्यवस्थाओं की प्रभावशीलता का आकलन करना।
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सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और आत्महत्याओं को रोकने के लिए सिफारिशें देना।
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NTF की शक्तियां:
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शैक्षणिक संस्थानों का औचक निरीक्षण करने का अधिकार।
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आवश्यकता पड़ने पर अपने प्रारंभिक कार्यक्षेत्र से आगे जाकर अतिरिक्त उपाय सुझाने की स्वतंत्रता।
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रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय-सीमा:
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अंतरिम रिपोर्ट: चार महीने के भीतर।
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अंतिम रिपोर्ट: आठ महीने के भीतर।
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कानूनी निर्देश:
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दिल्ली पुलिस को 2023 में IIT दिल्ली के दो छात्रों की मृत्यु से जुड़े मामले में FIR दर्ज करने का निर्देश।
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जांच एक ACP रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी द्वारा कराई जाएगी।
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जातिगत भेदभाव का मुद्दा:
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कोर्ट ने जातिगत भेदभाव को छात्र आत्महत्याओं के महत्वपूर्ण कारणों में से एक माना।
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पुलिस को SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
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छात्र आत्महत्याओं के आंकड़े (2018-2023):
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IITs: 39
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NITs: 25
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केंद्रीय विश्वविद्यालय: 25
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IIMs: 4
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IISERs: 3
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IIITs: 2
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कानूनी पहलू:
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कोर्ट ने पुलिस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 174 और धारा 154 के तहत अस्वाभाविक मृत्यु की जांच करने और आवश्यक FIR दर्ज करने का निर्देश दिया।
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