भारत की समृद्ध जैव विविधता एक बार फिर वैज्ञानिकों को चौंकाने में सफल रही है। पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट जैसे दो जैव विविधता हॉटस्पॉट में स्कारैब बीटल (Scarab Beetles) की छह नई प्रजातियाँ खोजी गई हैं। यह खोज प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका Zootaxa में प्रकाशित हुई है और इससे क्षेत्र की जैव विविधता की विशालता और निरंतर संरक्षण की आवश्यकता पर बल मिलता है।
मुख्य बिंदु
नई बीटल प्रजातियाँ
प्रजाति का नाम | खोज स्थान | विशेषताएँ |
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Maladera champhaiensis | चम्फाई, मिज़ोरम | स्थान आधारित नामकरण |
Maladera barasingha | पूर्वोत्तर | बारहसिंगा के सींग जैसे ढांचे के कारण नामकरण |
Maladera lumlaensis | लुमला, अरुणाचल प्रदेश | स्थान आधारित नामकरण |
Maladera onam | केरल | ओणम त्योहार के नाम पर रखा गया |
Neoserica churachandpurensis | चुराचांदपुर, मणिपुर | स्थान आधारित नामकरण |
Serica subansiriensis | सुबनसिरी, अरुणाचल प्रदेश | स्थान आधारित नामकरण |
प्रजातियाँ खोजने वाले वैज्ञानिक
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डॉ. देवांशु गुप्ता
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डॉ. देबिका भूनिया
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डॉ. डिर्क ऐहरेंस
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डॉ. कैलाश चंद्र
खोज के क्षेत्र
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पूर्वोत्तर भारत – पाँच प्रजातियाँ
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पश्चिमी घाट (केरल) – एक प्रजाति
जैव विविधता हॉटस्पॉट
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पूर्वी हिमालय (पूर्वोत्तर भारत) – स्थानिक प्रजातियों का केंद्र
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पश्चिमी घाट – UNESCO विश्व धरोहर स्थल, स्थानिक प्रजातियों से भरपूर
खोज की पद्धति
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भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (Zoological Survey of India) के राष्ट्रीय प्राणी संग्रह पर आधारित अध्ययन
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जर्मनी के म्यूज़ियम अलेक्ज़ांडर कोएनिग के साथ सहयोग
अन्य प्रमुख योगदान
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28 नई राज्य स्तरीय रिकॉर्ड (जैसे – Maladera bengalensis गोवा में, M. seriatoguttata महाराष्ट्र में)
Sericinae बीटल्स का पारिस्थितिकीय महत्व
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मिट्टी का वातन (soil aeration)
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पोषक तत्व पुनर्चक्रण
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कीट नियंत्रण
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कुछ प्रजातियाँ कृषि कीट भी हो सकती हैं
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पारिस्थितिक तंत्र और खाद्य जाल में अहम भूमिका
महत्व
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अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल
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जैव विविधता संरक्षण विज्ञान में भारत की भूमिका
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नई खोजों और ज्ञान के अंतराल को भरने की आवश्यकता पर बल
यह खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जैव विविधता के प्रति जनजागरूकता, संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को भी प्रोत्साहित करती है।