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भारत ने UNESCO के लिए अनंतिम सूची में छह संपत्तियों को जोड़ा

भारत ने हाल ही में अपने छह नए स्थलों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया है, जिससे देश में अस्थायी स्थलों की कुल संख्या 62 हो गई है। इन स्थलों में अशोककालीन शिलालेख स्थल, चौसठ योगिनी मंदिर और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं। 7 मार्च 2024 को भारत के स्थायी प्रतिनिधि मंडल द्वारा यूनेस्को में इन स्थलों को औपचारिक रूप से सूचीबद्ध किया गया। इस घोषणा को भारत ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया।

अस्थायी सूची का महत्व

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामांकन की प्रक्रिया में अस्थायी सूची एक महत्वपूर्ण चरण है। यूनेस्को के अनुसार, प्रत्येक देश को पहले किसी स्थल को अपनी अस्थायी सूची में शामिल करना आवश्यक होता है, जिसके बाद ही उसे औपचारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकित किया जा सकता है। यह सूची भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

हाल ही में जोड़े गए छह नए स्थल

  1. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़)
    यह राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता और अद्वितीय भूवैज्ञानिक संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। बस्तर जिले में स्थित यह पार्क चूना पत्थर की गुफाओं, जलप्रपातों और समृद्ध वनस्पतियों एवं जीवों का घर है। यह छत्तीसगढ़ के राज्य पक्षी बस्तर हिल मैना के लिए भी एक महत्वपूर्ण आवास स्थल है।

  2. मुदुमल मेगालिथिक मेन्हिर (तेलंगाना)
    यह प्रागैतिहासिक मेगालिथिक मेन्हिर तेलंगाना में स्थित हैं और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लोहे के युग से संबंधित ये संरचनाएं संभवतः दफनाने और खगोलीय अध्ययन के लिए उपयोग की जाती थीं। यह स्थल भारत में प्राचीन मेगालिथिक संस्कृति को समझने के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करता है।

  3. अशोककालीन शिलालेख स्थल (विभिन्न राज्य)
    यह एक श्रेणीकृत नामांकन है, जिसमें उन विभिन्न स्थलों को शामिल किया गया है जहां सम्राट अशोक के शिलालेख पाए गए हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के ये शिलालेख मौर्य शासन, प्रशासन और अशोक द्वारा प्रचारित बौद्ध धर्म के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। ये शिलालेख चट्टानों, गुफाओं और स्तंभों पर उकेरे गए हैं।

  4. चौसठ योगिनी मंदिर (विभिन्न राज्य)
    चौसठ योगिनी मंदिर विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं और 64 देवी-योगिनियों को समर्पित हैं। ये मंदिर आमतौर पर गोलाकार संरचनाओं में बनाए गए हैं और प्रायः पहाड़ियों की चोटी पर स्थित होते हैं। इनमें पत्थर की नक्काशीदार मूर्तियां हैं और ये तांत्रिक पूजा परंपराओं में धार्मिक और स्थापत्य महत्व रखते हैं।

  5. गुप्तकालीन मंदिर (उत्तर भारत के विभिन्न राज्य)
    ये मंदिर गुप्तकालीन स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो अपनी परिष्कृत डिज़ाइन और कलात्मक श्रेष्ठता के लिए जाने जाते हैं। चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी के बीच निर्मित ये मंदिर भारतीय मंदिर स्थापत्य कला के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रमुख उदाहरणों में देवगढ़ का दशावतार मंदिर और नचना का पार्वती मंदिर शामिल हैं।

  6. बुंदेला राजवंश के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश)
    बुंदेला राजवंश के महल-किले मध्यकालीन भारत की ऐतिहासिक धरोहर हैं। ये स्थापत्य कला की अनूठी शैली को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें राजपूत और मुगल वास्तुकला का मिश्रण देखा जा सकता है। इनमें ओरछा (मध्य प्रदेश) का जहांगीर महल और दतिया (उत्तर प्रदेश) का गोविंद महल प्रमुख हैं।

भारत के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

वर्तमान में, भारत के 43 स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • सांस्कृतिक स्थल: 35
  • प्राकृतिक स्थल: 7
  • मिश्रित स्थल: 1

2024 में भारत ने पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी की। इसी वर्ष, असम के मोइडाम्स (अहोम वंश के समाधि स्थल) को आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।

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