भारत ने 2024 में अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार किया है और वह नए परमाणु प्रक्षेपण प्रणालियों का विकास भी कर रहा है, यह जानकारी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट SIPRI Yearbook 2025 में दी गई है। यह रिपोर्ट शस्त्रीकरण, निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर विश्वसनीय स्रोत मानी जाती है।
समाचार में क्यों?
SIPRI Yearbook 2025 के अनुसार, भारत उन देशों में शामिल है जो अपने परमाणु क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है और विश्व एक बहुध्रुवीय परमाणु व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। रिपोर्ट परमाणु आधुनिकीकरण और निरस्त्रीकरण वार्ता की कमी को लेकर वैश्विक जोखिमों को रेखांकित करती है।
भारत की परमाणु विस्तार की मुख्य बातें
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भारत ने 2024 में अपने परमाणु शस्त्रागार में थोड़ा विस्तार किया।
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नई परमाणु प्रक्षेपण प्रणालियों (delivery systems) का विकास जारी है।
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कनस्तरीकृत (canisterised) मिसाइलों का विकास कर रहा है जो मेटेड वॉरहेड्स ले जा सकती हैं।
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भविष्य में ये मिसाइलें MIRVs (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) को समर्थन दे सकती हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
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सभी 9 परमाणु संपन्न राष्ट्र (अमेरिका, रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, यूके, फ्रांस, इज़रायल, उत्तर कोरिया) अपने शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।
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SIPRI ने चेताया है कि “नए और खतरनाक परमाणु हथियारों की दौड़” शुरू हो चुकी है।
चीन की तेज़ी से हो रही वृद्धि
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चीन का परमाणु भंडार बढ़कर 600 वॉरहेड्स तक पहुंच गया, हर साल लगभग 100 वॉरहेड्स की वृद्धि।
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देशभर में लगभग 350 नए ICBM साइलो बनाए गए।
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2030 तक चीन की ICBM संख्या अमेरिका या रूस के बराबर हो सकती है।
वैश्विक परमाणु भंडार (जनवरी 2025 तक अनुमानित)
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कुल परमाणु वॉरहेड्स: 12,241
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सैन्य भंडार में: 9,614
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तैनात (deployed) वॉरहेड्स: 3,912 (मिसाइलों या विमानों पर)
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हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर: 2,100 वॉरहेड्स (मुख्यतः अमेरिका और रूस के पास)
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चीन अब संभवतः शांतिकाल में भी मिसाइलों पर वॉरहेड्स रखता है।
स्थायी तथ्य और पृष्ठभूमि
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SIPRI: स्टॉकहोम स्थित संस्थान, जो शस्त्र नियंत्रण, संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर कार्य करता है।
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भारत की परमाणु नीति: “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध” और नो फर्स्ट यूज़ (NFU) सिद्धांत पर आधारित।
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चीन की रणनीतिक दिशा: लॉन्च-ऑन-वार्निंग (सावधानी संकेत पर लॉन्च) नीति की ओर बढ़ रहा है।
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रूस और अमेरिका: वैश्विक परमाणु वॉरहेड्स का 90% हिस्सा रखते हैं।
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ICBM: इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल — लंबी दूरी तक परमाणु हमला करने में सक्षम।