भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट शिवपाल सिंह, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, दूसरी बार डोप टेस्ट में असफल पाए गए हैं। इस साल की शुरुआत में NIS पटियाला में प्रशिक्षण के दौरान लिए गए आउट-ऑफ-कॉम्पटीशन यूरिन सैंपल में प्रतिबंधित पदार्थ मिला। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) ने उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है, और यदि आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें अधिकतम 8 साल का प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है, जिससे उनका करियर समाप्त हो सकता है।
टोक्यो ओलंपियन और देश के शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ी शिवपाल सिंह एक बार फिर डोपिंग के मामले में फंस गए हैं। यदि यह दूसरी बार का उल्लंघन साबित होता है, तो उन्हें लंबे समय तक प्रतिस्पर्धा से बाहर रहना पड़ सकता है।
एथलीट: शिवपाल सिंह
आयु: 29 वर्ष
इवेंट: भाला फेंक (Javelin Throw)
प्रमुख उपलब्धि:
2019 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ: 86.23 मीटर
ओलंपिक: टोक्यो 2020 में भारत का प्रतिनिधित्व किया
वर्तमान स्थिति: NADA द्वारा निलंबित
टेस्ट का प्रकार: आउट-ऑफ-कॉम्पटीशन
स्थान: NIS पटियाला
यह दूसरी डोपिंग विफलता है:
| वर्ष | विवरण |
|---|---|
| 2021 | स्टेरॉयड के लिए पॉजिटिव पाए गए |
| प्रारंभिक सजा | 4 साल का प्रतिबंध |
| बचाव में तर्क | सप्लीमेंट के दूषित होने की दलील |
| अपील पैनल निर्णय (जनवरी 2023) | प्रतिबंध घटाकर 1 साल कर दिया गया |
अप्रैल 2023 में प्रतिस्पर्धा में वापसी
जून 2023: नेशनल इंटर-स्टेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक
राष्ट्रीय खेल 2023 (गोवा): स्वर्ण पदक विजेता
WADA और NADA नियमों के अनुसार, दूसरी बार डोपिंग उल्लंघन पर अधिकतम 8 साल का प्रतिबंध हो सकता है।
यदि पुष्टि होती है, तो शिवपाल सिंह का एथलेटिक करियर समाप्त हो सकता है।
यह मामला भारतीय एथलेटिक्स में डोपिंग से जुड़ी चुनौतियों को उजागर करता है।
यह खिलाड़ियों में पूरक (supplement) उपयोग और जागरूकता की कमी पर सवाल उठाता है।
यह NADA की सख्त निगरानी और परीक्षण प्रणाली की सक्रियता को दर्शाता है।
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