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शेयर बाजार में साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए SEBI लाएगा UPI वेरिफिकेशन टूल

निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक नई पहल “SEBI Check” की घोषणा की है। यह टूल निवेशकों को SEBI-पंजीकृत मध्यस्थों (intermediaries) द्वारा उपयोग किए जा रहे UPI भुगतान हैंडल की पुष्टि करने की सुविधा देगा, ताकि लेन-देन से पहले सत्यापन किया जा सके। यह सुविधा जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है और इससे पूंजी बाजार में वित्तीय लेन-देन की सुरक्षा और पारदर्शिता काफी हद तक बढ़ेगी। इसके अलावा, SEBI ने 1 अक्टूबर 2025 से सभी पंजीकृत मध्यस्थों के लिए नया UPI भुगतान तंत्र अनिवार्य कर दिया है।

समाचार में क्यों?

SEBI ने 11 जून 2025 को SEBI Check टूल की घोषणा की, जो UPI आईडी सत्यापन के लिए उपयोग किया जाएगा। यह कदम उन धोखाधड़ी गतिविधियों के जवाब में आया है, जिनमें नकली वित्तीय मध्यस्थ बनकर अवैध UPI हैंडल के माध्यम से निवेशकों से धन एकत्र किया जा रहा था। नया UPI-आधारित भुगतान सिस्टम 1 अक्टूबर 2025 से सभी SEBI-पंजीकृत संस्थाओं पर अनिवार्य होगा।

“SEBI Check” क्या है?

एक डिजिटल सत्यापन उपकरण, जो निवेशकों को यह जांचने की सुविधा देता है कि वे जिस UPI ID पर भुगतान कर रहे हैं, वह वैध है या नहीं। इसमें दो विकल्प होंगे:

  • QR कोड स्कैन करना

  • या UPI ID को मैन्युअली दर्ज करना

सत्यापन विवरण में शामिल होगा:

  • खाता संख्या

  • IFSC कोड

  • यह पुष्टि कि संबंधित UPI ID वास्तव में SEBI-पंजीकृत मध्यस्थ से जुड़ी है या नहीं।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • फर्जीवाड़े और फ़िशिंग हमलों को रोकना।

  • निवेशकों को धन स्थानांतरित करने से पहले लाभार्थी की पहचान की पुष्टि करने का अधिकार देना।

  • पूंजी बाजार में सुरक्षित और नियंत्रित भुगतान चैनल को बढ़ावा देना।

पृष्ठभूमि

  • जनवरी 2025 में SEBI ने इस तंत्र को लेकर एक परामर्श पत्र जारी किया था।

  • अपंजीकृत संस्थाओं द्वारा अवैध धन संग्रह के मामलों में वृद्धि के कारण यह कदम आवश्यक हो गया।

  • फर्जी UPI हैंडल का इस्तेमाल कर खुद को वैध मध्यस्थ बताकर खुदरा निवेशकों को गुमराह किया जा रहा था।

नए UPI तंत्र की मुख्य विशेषताएं

  • सभी SEBI-पंजीकृत मध्यस्थों (जैसे ब्रोकर्स, म्यूचुअल फंड वितरक आदि) पर लागू।

  • केवल सत्यापित UPI हैंडल का उपयोग अनिवार्य।

  • भारतीय प्रतिभूति बाजार में भरोसा और लेन-देन सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

  • खुदरा निवेशकों के लिए डिजिटल भुगतान की विश्वसनीयता में वृद्धि करता है।

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