भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India – Sebi) बोर्ड ने पहले ‘अनिवार्य (mandatory)’ के खिलाफ ‘स्वैच्छिक (voluntary)’ के रूप में अध्यक्ष और एमडी / सीईओ की भूमिकाओं को अलग करने का प्रावधान करने का निर्णय लिया है। मार्केट रेगुलेटर ने जून 2017 में उदय कोटक (Uday Kotak) के तहत कॉरपोरेट गवर्नेंस पर एक कमेटी का गठन किया था, जिसका मकसद लिस्टेड कंपनियों के कॉरपोरेट गवर्नेंस नॉर्म्स को और बढ़ाने के लिए सिफारिशें लेना था।
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समिति की सिफारिशों में सूचीबद्ध कंपनियों के अध्यक्ष और एमडी/सीईओ की भूमिकाओं को अलग करना था। प्रबंधन के अधिक प्रभावी और वस्तुनिष्ठ पर्यवेक्षण को सक्षम करके एक बेहतर और अधिक संतुलित शासन संरचना प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था। सेबी बोर्ड ने मार्च 2018 में अपनी बैठक में शीर्ष 500-सूचीबद्ध संस्थाओं के प्रस्ताव को मंजूरी दी। बाद में अनुपालन की समय सीमा जनवरी 2020 में दो साल के लिए बढ़ा दी गई थी।
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