सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आदेश जारी किया गया है, जिसमे कहा गया है कि वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन (SARFAESI) अधिनियम, 2002 (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest – SARFAESI) के प्रावधान अब राज्य और बहु-राज्यों के सहकारी बैंकों पर भी लागू होंगे।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के तहत जारी 2003 की अधिसूचना को भी बरकरार रखा, जिसके द्वारा सहकारी बैंक को SARFAESI अधिनियम के प्रावधानों की तलाश के लिए बैंकों की श्रेणी में लाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले के पीछे का उद्देश्य सिविल कोर्ट या सहकारी समितियों अधिनियम के तहत प्रक्रिया सारांश के माध्यम से होने वाली देरी को दूर करना था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5-न्यायाधीश की पीठ ने फैसला सुनाया ।
क्या है SARFAESI अधिनियम?
सरफेसी एक्ट सिक्योरिटाइजेशन और रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट यानि वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन (SARFAESI) अधिनियम है। इस अधिनियम का इस्तेमाल बैंक बैड लोन विशेष रूप से गैर-निष्पादित आस्तियों को पुनर्प्राप्त करने के लिए एक उपकरण के रूप में करते हैं। यह अधिनियम आस्तियों के पुनर्निर्माण के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को स्थानांतरित करने के लिए प्रक्रियाएं प्रदान करता है। यह अधिनियम न्यायालय के हस्तक्षेप के बिना बैंकों के सुरक्षा हितों को भी लागू करता है। यह अधिनियम भारत में वित्तीय संस्थानों को किसी ऋण की वसूली के लिए अचल संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार देता है।
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महत्वपूर्ण तथ्य- - वर्तमान में शरद अरविंद बोबड़े भारत के मुख्य न्यायधीश हैं.