सर्बानंद सोनोवाल ने ‘एक राष्ट्र-एक बंदरगाह’ पहल का अनावरण किया

भारत के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) ने समुद्री क्षेत्र के आधुनिकीकरण, वैश्विक व्यापार को मजबूत करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। इनमें ‘वन नेशन: वन पोर्ट प्रोसेस’ (ONOP) की शुरुआत प्रमुख है, जिसका उद्देश्य देशभर के बंदरगाह संचालन को मानकीकृत और सरल बनाना है।

यह पहल बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा एक प्रमुख हितधारक बैठक के दौरान घोषित की गई, जिसमें केंद्रीय बजट 2025-26 से समुद्री क्षेत्र को मिलने वाले लाभों पर चर्चा की गई। इन उपायों का लक्ष्य भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति बनाना और आत्मनिर्भर भारत व विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को साकार करना है।

‘वन नेशन: वन पोर्ट प्रोसेस’ (ONOP) – भारत के बंदरगाहों में क्रांतिकारी बदलाव

ONOP पहल का उद्देश्य देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों में दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियाओं में एकरूपता लाना है, जिससे अप्रभावी प्रक्रियाएँ खत्म हों, लागत कम हो, और संचालन में तेजी आए

मुख्य उद्देश्य:

  • प्रक्रियाओं का मानकीकरण – सभी प्रमुख बंदरगाहों में समान संचालन पद्धति।
  • लागत में कमी – अनावश्यक दस्तावेज़ीकरण हटाकर लॉजिस्टिक्स खर्च घटाना।
  • संचालन कुशलता – बंदरगाह प्रक्रियाओं को तेज़ और सटीक बनाना।
  • वैश्विक व्यापार को बढ़ावा – भारत को एक प्रमुख समुद्री केंद्र बनाना।
  • पारदर्शिता में सुधारडिजिटलीकरण और ऑटोमेशन के जरिए पेपरलेस प्रणाली लागू करना।

इस पहल से कार्गो संचालन में बाधाएँ कम होंगी, क्लीयरेंस प्रक्रियाएँ तेज़ होंगी और समग्र उत्पादकता में वृद्धि होगी।

सागर अंकलन – लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPPI) 2023-24

ONOP के साथ, सर्बानंद सोनोवाल ने सागर अंकलन भी लॉन्च किया, जिसमें लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPPI) 2023-24 शामिल है। यह इंडेक्स भारत के बंदरगाहों की दक्षता, प्रतिस्पर्धात्मकता और लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन का मूल्यांकन करेगा।

LPPI के प्रमुख बिंदु:

  • बंदरगाह प्रदर्शन का मूल्यांकन – उच्च और निम्न प्रदर्शन वाले बंदरगाहों की पहचान।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता – भारतीय बंदरगाहों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर परखना।
  • दक्षता सुधारटर्नअराउंड समय और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना।
  • सतत विकास मापदंड – बंदरगाहों द्वारा अपनाई गई हरित प्रथाओं और कार्बन फुटप्रिंट की निगरानी।

यह सूचकांक बंदरगाहों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और सेवा गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उन्हें प्रेरित करेगा।

भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम – वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाना

भारत सरकार ने भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ावा देना है।

प्रमुख लाभ:

  • वैश्विक समुद्री प्रभाव का विस्तार – प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी।
  • निवेश और व्यापार के अवसरबंदरगाह अवसंरचना में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करना
  • वैश्विक भागीदारी – अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह प्राधिकरणों के साथ रणनीतिक सहयोग।
  • बंदरगाह अवसंरचना में सुधारस्मार्ट, हरित और डिजिटल बंदरगाहों का विकास।

इस पहल से भारत को वैश्विक शिपिंग मार्गों में रणनीतिक लाभ मिलेगा, जिससे निर्यात और समुद्री व्यापार को मजबूती मिलेगी।

भविष्य के प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • स्मार्ट पोर्ट्स: एआई और ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए स्वचालित बंदरगाह संचालन।
  • हरित ऊर्जा अपनाना: बंदरगाहों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर स्थानांतरित करना।
  • समुद्री सुरक्षा बढ़ाना: तटीय निगरानी और साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना।
  • डिजिटलीकरण: इलेक्ट्रॉनिक बिल ऑफ लैंडिंग और एआई-आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना।

ये सभी पहल सागरमाला परियोजना के अंतर्गत ‘बंदरगाह-आधारित विकास’ को गति देंगी, जिससे भारत का समुद्री व्यापार परिदृश्य क्रांतिकारी रूप से बदलने की दिशा में अग्रसर होगा।

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vikash

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