पृष्ठभूमि
संसद रत्न पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 2010 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा से की गई थी। उन्होंने उत्कृष्ट सांसदों को सम्मानित करने की आवश्यकता पर बल दिया था। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष संसद में प्रदर्शन के वस्तुनिष्ठ मानकों — जैसे कि बहसों में भागीदारी, प्राइवेट मेंबर बिल, पूछे गए प्रश्न, और समितियों में सक्रियता — के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। समय के साथ, यह पुरस्कार विधायी उत्पादकता और जवाबदेही के मूल्यांकन के लिए एक मानक बन चुके हैं।
महत्त्व
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जवाबदेही को बढ़ावा: इन पुरस्कारों से पारदर्शी और रचनात्मक संसदीय कार्य को मान्यता मिलती है।
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लोकतंत्र को सशक्त बनाना: सांसदों को नीति निर्माण और बहस में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करता है।
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मानक स्थापित करना: संसदीय प्रभावशीलता का एक मापनीय पैमाना प्रदान करता है।
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निरंतरता को मान्यता: उन सांसदों को पुरस्कृत करता है जिन्होंने कई कार्यकालों में उत्कृष्ट प्रदर्शन बनाए रखा है।
2025 के प्रमुख बिंदु
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कुल सम्मानित सांसद: 17 सांसद, विभिन्न दलों और क्षेत्रों से।
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प्रमुख विजेता: सुप्रिया सुले (NCP-SP), रवि किशन (भाजपा), निशिकांत दुबे (भाजपा), अरविंद सावंत (शिवसेना-उद्धव गुट)।
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विशेष जूरी पुरस्कार: चार सांसदों को 16वीं लोकसभा से लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया —
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भर्तृहरि महताब (भाजपा)
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एन.के. प्रेमचंद्रन (आरएसपी)
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सुप्रिया सुले (NCP-SP)
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श्रीरंग आप्पा बारणे (शिवसेना)
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समिति श्रेणी में सम्मानित
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वित्त पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: भर्तृहरि महताब)
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कृषि पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस)
पुरस्कारों के उद्देश्य
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सांसदों को संसदीय बहस के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रेरित करना।
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विधायी कार्य में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
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युवाओं और नागरिकों को प्रभावी संसदीय प्रथाओं की सराहना के लिए प्रेरित करना।
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उत्कृष्ट और निरंतर योगदान के लिए संस्थागत मान्यता स्थापित करना।