प्रख्यात अर्थशास्त्री एस. महेन्द्र देव को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकासात्मक अर्थशास्त्र में उनके व्यापक अनुभव के लिए जाने जाने वाले महेन्द्र देव सार्वजनिक नीति और अकादमिक जगत में दशकों का अनुभव लेकर आए हैं। इस पूर्णकालिक पद के चलते उन्होंने एक्सिस बैंक के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में पीएचडी और येल यूनिवर्सिटी से पोस्ट-डॉक्टोरल शोध किया है।
समाचार में क्यों?
5 जून 2025 को एस. महेन्द्र देव को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उसी दिन उन्होंने एक्सिस बैंक के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि यह नई भूमिका पूर्णकालिक है। इस नियुक्ति से यह संकेत मिलता है कि सरकार अब विकासोन्मुखी और ग्रामीण-केंद्रित आर्थिक नीतियों पर विशेष ध्यान दे रही है।
EAC-PM के उद्देश्य
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प्रधानमंत्री को आर्थिक और नीतिगत मामलों पर स्वतंत्र सलाह देना।
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व्यापक आर्थिक रुझानों (macroeconomic trends) का विश्लेषण कर समावेशी और सतत विकास के लिए रणनीति सुझाना।
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नीतियों के कार्यान्वयन, सुधारों और संरचनात्मक आर्थिक मुद्दों पर मार्गदर्शन देना।
एस. महेन्द्र देव का प्रोफाइल
शैक्षणिक योग्यता:
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पीएचडी (अर्थशास्त्र) – दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स
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पोस्ट-डॉक्टोरल शोध (विकासात्मक अर्थशास्त्र) – येल यूनिवर्सिटी, अमेरिका
प्रमुख पदभार:
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निदेशक एवं कुलपति – इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (IGIDR)
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अध्यक्ष – इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट स्टडीज़, आंध्र प्रदेश
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संपादक – Economic and Political Weekly
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स्वतंत्र निदेशक – एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के बोर्ड में
विशेषज्ञता के क्षेत्र:
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कृषि और खाद्य सुरक्षा
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गरीबी और असमानता
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ग्रामीण विकास और सामाजिक सुरक्षा
EAC-PM का परिचय
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यह संविधानिक नहीं और स्थायी नहीं है, परंतु प्रधानमंत्री को सलाह देने के लिए गठित एक महत्वपूर्ण निकाय है।
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यह नीति आयोग (NITI Aayog) के तहत कार्य करता है, और इसकी सिफारिशें अक्सर देश की प्रमुख आर्थिक नीतियों को आकार देती हैं।
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हालिया अध्यक्षों में सुमन बेरी (नीति आयोग के उपाध्यक्ष) प्रमुख रहे हैं।
इस नियुक्ति का महत्व
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एस. महेन्द्र देव की कृषि और ग्रामीण विकास में गहरी समझ भारत की वर्तमान आर्थिक जरूरतों से मेल खाती है।
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उनके नेतृत्व से ग्रामीण केंद्रित आर्थिक रणनीतियों को मजबूती मिलेगी और दीर्घकालिक नीति निर्माण को दिशा मिलेगी।
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भारत जब विकास और समावेशन (Inclusivity) के संतुलन की ओर बढ़ रहा है, तब उनकी दृष्टि समान विकास योजना (Equitable Development Planning) को सशक्त बना सकती है।