रूस ने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा की है कि वह 2034 से 2036 के बीच वेनेरा-डी मिशन के माध्यम से शुक्र ग्रह (Venus) की खोज में वापसी करेगा। इस बहुप्रतीक्षित मिशन में एक लैंडर, ऑर्बिटल यान और गुब्बारा जांच यान (Balloon Probe) शामिल होंगे। यह रूस की दशकों बाद अंतरग्रहीय अन्वेषण (Interplanetary Exploration) में वापसी होगी और सोवियत काल के ऐतिहासिक वेनेरा कार्यक्रम को पुनर्जीवित करेगी।
यह पहल रूस के नए राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का हिस्सा है। स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IKI) के ओलेग कोराबलेव के अनुसार, जनवरी 2026 से इस मिशन की प्रारंभिक डिज़ाइन पर काम शुरू होगा।
वेनेरा-डी में “डी” का अर्थ है “डोल्गोज़िवुशाया” (लॉन्ग-लिव्ड / दीर्घजीवी)। इसका उद्देश्य शुक्र ग्रह के वातावरण, सतह और जलवायु तंत्र पर गहन वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना है। यह सोवियत युग के वेनेरा और वेगा कार्यक्रमों के बाद रूस का सबसे बड़ा शुक्र अन्वेषण प्रयास होगा।
लैंडर: सतह की संरचना, तापमान, दाब (Pressure) और संभव हो तो मिट्टी का विश्लेषण करेगा।
ऑर्बिटल यान: उच्च-रिज़ॉल्यूशन चित्र, वातावरण संबंधी अध्ययन और अन्य यंत्रों से डेटा एकत्र करेगा।
गुब्बारा जांच यान: शुक्र ग्रह के ऊपरी वातावरण में तैरता रहेगा और तापमान, हवाओं तथा रासायनिक संरचना को लंबे समय तक मापेगा।
प्रारंभिक डिज़ाइन चरण: जनवरी 2026 से, अवधि 2 वर्ष
सहयोग: लावोच्किन एसोसिएशन (रूसी एयरोस्पेस कंपनी)
प्रक्षेपण खिड़की: 2034 से 2036 के बीच
लॉन्च वाहन: रूसी रॉकेट से प्रक्षेपण
शुक्र ग्रह की कठोर परिस्थितियों को देखते हुए यह डिज़ाइन और योजना चरण अत्यंत चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।
वातावरण की गति (Atmospheric Dynamics) और बादलों की रसायन प्रक्रिया को समझना
ज्वालामुखीय गतिविधि (Volcanism) के वर्तमान या पूर्व संकेतों की जांच
जलवायु विकास का अध्ययन और पृथ्वी से तुलना
संभावित प्राचीन जीवन के संकेत या निवास योग्य परिस्थितियों का पता लगाना
हाल के वर्षों में शुक्र ग्रह के प्रति रुचि बढ़ी है, खासकर फॉस्फीन गैस (संभावित जैव-चिह्न) की खोज संबंधी बहस के बाद।
NASA: VERITAS और DAVINCI+ मिशन
ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी): EnVision मिशन (2030 के शुरुआती दशक में)
रूस: वेनेरा-डी (2034–36)
इस तरह वेनेरा-डी विश्व स्तर पर शुक्र अन्वेषण की नई दौड़ में रूस की वापसी को दर्शाता है।
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