17 जनवरी 2025 को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने मास्को में 20 वर्षीय “व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि” पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए किया गया है।
इतिहास में रूस और ईरान प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, खासकर 18वीं सदी के दौरान। हाल के वर्षों में, सोवियत संघ के 1991 में विघटन के बाद, उनके संबंधों में सुधार हुआ। आज रूस, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अलग-थलग पड़े ईरान का प्रमुख व्यापार भागीदार और उच्च तकनीक आपूर्तिकर्ता है।
यह रणनीतिक साझेदारी पश्चिमी प्रतिबंधों और सैन्य खतरों के खिलाफ ईरान और रूस के बीच एक मजबूत गठबंधन के रूप में देखी जा रही है। इस समझौते में संयुक्त सैन्य अभ्यास की योजना भी शामिल है, जिसने विशेष रूप से अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा दी है।
| प्रमुख बिंदु | विवरण |
| समाचार में क्यों | – रूस और ईरान ने 17 जनवरी 2025 को 20 वर्षीय “व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि” पर हस्ताक्षर किए। – सहयोग के क्षेत्र: आर्थिक, सैन्य, ऊर्जा, अवसंरचना, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान। – संयुक्त सैन्य प्रयासों, ऊर्जा (गैस शिपमेंट, परिवहन गलियारे), और व्यापार (15.5% वृद्धि) पर जोर। – रूस-यूक्रेन तनाव और पश्चिमी प्रतिबंधों ने इस गठबंधन को बढ़ावा दिया। – समझौते में शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा और साइबर सुरक्षा शामिल। |
| ईरान की आर्थिक और रक्षा प्रगति में रूस की भूमिका | – रूस, ईरान का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता और व्यापार भागीदार। – आर्थिक संबंध: 2024 में $3.77 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार। |
| सहयोग के प्रमुख क्षेत्र | – आर्थिक: व्यापार में वृद्धि, परिवहन गलियारे का विकास। – सैन्य: संयुक्त रक्षा अभियान, खुफिया जानकारी साझा करना। – ऊर्जा: गैस निर्यात, क्षेत्रीय अवसंरचना परियोजनाएँ। – सांस्कृतिक और वैज्ञानिक: प्रौद्योगिकी, आतंकवाद विरोध, साइबर सुरक्षा। |
| ऐतिहासिक संदर्भ | – ऐतिहासिक रूप से, रूस और ईरान प्रतिद्वंद्वी थे। – सोवियत युग के बाद: संबंध विकसित हुए, विशेष रूप से प्रतिबंधों के कारण ईरान के अलग-थलग पड़ने के बाद। |
| अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव | – पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन। – सैन्य सहयोग ने पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका में चिंताएँ बढ़ाई। |
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