संसद के मानसून सत्र के शुरुआती दिन में मणिपुर की स्थिति के संबंध में चर्चा के प्रारूप पर सरकार और विपक्ष के बीच असहमति के कारण व्यवधान देखा गया। विपक्ष ने सदन की भावना व्यक्त करने के लिए नियम 267 के तहत चर्चा की मांग की, जबकि सरकार ने नियम 176 के तहत चर्चा का प्रस्ताव रखा। एक तरफ सरकार जहां छोटी अवधि की चर्चा के लिए सहमत हुई थी। वहीं, विपक्ष ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नियम 267 के तहत सभी मुद्दों को निलंबित कर चर्चा के बाद स्वत: संज्ञान लें।
रूल 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। दरअसल, संसद में एक सदस्य के पास मुद्दों को उठाने और सरकार से जवाब मांगने के कई तरीके होते हैं। प्रश्नकाल के दौरान सांसद किसी भी मुद्दे से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं। इसके तहत संबंधित मंत्री को मौखिक या लिखित उत्तर देना होता है। कोई भी सांसद शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठा सकता है। हर दिन 15 सांसदों को शून्यकाल में अपनी पसंद के मुद्दे उठाने की अनुमति होती है। कोई सांसद इसे विशेष उल्लेख के दौरान भी उठा सकता है। अध्यक्ष प्रतिदिन 7 विशेष उल्लेखों की अनुमति दे सकते हैं। सांसद राष्ट्रपति के भाषण पर बहस जैसी अन्य चर्चाओं के दौरान इस मुद्दे को सरकार के ध्यान में लाने का प्रयास कर सकते हैं। नियम 267 के तहत कोई भी चर्चा संसद में इसलिए बहुत महत्व रखती है क्योंकि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर चर्चा के लिए अन्य सभी कामों को रोक दिया जाता है।
अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है। राज्यसभा नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है। विपक्ष मणिपुर को लेकर इसी कारण रूल 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहा है।
ध्यान देने वाली बात है कि केंद्र ने 17 जुलाई 2023 को कहा था कि वह राज्यसभा में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है। सदन के नेता पीयूष गोयल भी बोले थे सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है। धनखड़ ने फिर कहा कहा था कि विभिन्न सदस्यों की ओर से नियम 176 के तहत मणिपुर के मुद्दों पर अल्पकालिक चर्चा की मांग की गई है। सदस्य मणिपुर के मुद्दों पर चर्चा में शामिल होने के इच्छुक हैं। इन चर्चाओं के तीन चरण होते हैं। एक, सदन का प्रत्येक सदस्य अल्पकालिक चर्चा के लिए नोटिस देने का हकदार होता है। उन नोटिसों पर उन्होंने विचार किया है। लेकिन, नियम के तहत उन्हें सदन के नेता से तारीख और समय की सलाह लेनी होगी।
नियम 176 के अनुसार, मामले को तुरंत, कुछ घंटों के भीतर या अगले दिन भी उठाया जा सकता है। हालांकि, नियम स्पष्ट है कि अल्पकालिक चर्चा के तहत कोई औपचारिक प्रस्ताव या मतदान नहीं किया जाएगा।
नियम 176 किसी विशेष मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देता है, जो ढाई घंटे से अधिक नहीं हो सकती। इसमें कहा गया है कि अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले पर चर्चा शुरू करने का इच्छुक कोई भी सदस्य अध्यक्षको स्पष्ट रूप से और सटीक रूप से उठाए जाने वाले मामले को लिखित रूप में नोटिस दे सकता है, बशर्ते नोटिस के साथ एक व्याख्यात्मक नोट होगा, जिसमें विचाराधीन मामले पर चर्चा शुरू करने के कारण बताए जाएंगे। साथ ही नोटिस को कम से कम दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर द्वारा समर्थित किया जाएगा।
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