टाटा समूह के दिग्गज और टाटा संस के पूर्व निदेशक आर के कृष्णकुमार का मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने 84 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कृष्णकुमार को रतन टाटा के भरोसेमंद सहयोगियों में से एक माना जाता था। कृष्णकुमार, जो टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के करीबी सहयोगी थे, टाटा की कंसल्टेंसी फर्म, आरएनटी एसोसिएट्स और समूह के धर्मार्थ ट्रस्टों में शामिल थे, जिनके पास टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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कृष्णकुमार के बारे में
- कृष्णकुमार ने टाटा समूह के कई अधिग्रहणों में महत्वपूर्ण निभाई थी। कृष्णकुमार को भारतीय व्यापार और उद्योग में उनके योगदान के लिए 2009 में भारत सरकार ने चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- कृष्णकुमार साल 1963 में टाटा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में शामिल हुए थे। साल 1965 में उन्हें टाटा ग्लोबल बेवरेजेज में ट्रांसफर कर दिया गया, जिसे तब टाटा फिनले के नाम से जाना जाता था।
- उन्होंने टाटा टी के री-ब्रांडिंग के लिए काम किया। कुमार ने साल 1997 से 2002 तक इंडियन होटल्स कंपनी का नेतृत्व किया। इसके बाद उनकी नियुक्ति समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में हो गई।
- कृष्णकुमार 2007 तक टाटा ग्रुप के साथ रहे। टाटा ग्रुप से रिटायर होने के बाद भी कृष्णकुमार टाटा संस के नियंत्रक शेयरधारक टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी बने रहे।
- कृष्णकुमार के करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 1982 में आया, जब वे टाटा कंज्यूमर में वरिष्ठ प्रबंधन टीम का हिस्सा बने। इसके बाद से उनके और रतन टाटा के बीच सीधी बातचीत शुरू हुई।
- साल 1997 में असम संकट के दौरान, जब टाटा कंज्यूमर के कुछ कर्मचारियों को उग्रवादी ग्रुप उल्फा ने बंधक बना लिया गया था। इस दौरान कृष्णकुमार रतन टाटा के इंटरनल सर्कल का हिस्सा बने।