प्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित राम नारायण का 96 वर्ष की आयु में निधन

भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया ने सरंगी के महान साधक पंडित राम नारायण को खो दिया, जिनका निधन 8 नवंबर 2024 को मुंबई के बांद्रा स्थित आवास पर हुआ। 96 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। पंडित राम नारायण ने सरंगी को पारंपरिक संगत वाद्य से एक प्रमुख एकल वाद्य के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई, जिससे भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक नया आयाम जुड़ा। उनके कार्यों ने सरंगी के प्रति लोगों में नए सिरे से सम्मान और प्रशंसा जगाई।

प्रारंभिक जीवन और सरंगी के प्रति लगाव

पंडित राम नारायण का जन्म 25 दिसंबर 1927 को राजस्थान के उदयपुर के पास स्थित अंबर नामक गाँव में हुआ था। उनका परिवार उदयपुर दरबार में संगीतकार था। परिवार में संगीत का माहौल होने के बावजूद, सरंगी की उस समय की परंपरागत छवि के कारण उनके पिता ने शुरुआत में उन्हें इस वाद्य को सीखने से मना किया, पर उनकी संगीत में गहरी रुचि को देखते हुए उन्हें अपने गुरु उदय लाल के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिला।

राम नारायण ने महज छह साल की उम्र में संगीत की शिक्षा शुरू की और आगे चलकर ख्याल गायन का प्रशिक्षण माधव प्रसाद और किराना घराने के अब्दुल वाहिद खान से लिया। खान साहब के अनुशासन में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराईयों को समझा, जो उनके संगीत में स्पष्ट रूप से झलकती थी।

करियर की मुख्य उपलब्धियाँ और सरंगी का उत्थान

पंडित राम नारायण ने अपने करियर की शुरुआत 1943 में ऑल इंडिया रेडियो, लाहौर से सरंगी वादक के रूप में की। 1948 में विभाजन के बाद वे दिल्ली आए और भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनानी शुरू की। उन्होंने उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, पंडित ओंकारनाथ ठाकुर और हीराबाई बडोदकर जैसे महान कलाकारों के साथ संगत की। उनका पहला एकल सरंगी एल्बम HMV के साथ था, जो उस समय सरंगी वादकों के लिए एक असाधारण उपलब्धि थी।

फिल्मों में भी उनका योगदान अविस्मरणीय रहा। मुग़ल-ए-आज़म, पाकीज़ा, ताज महल, मिलन, और कश्मीर की कली जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अद्वितीय संगीत का जादू बिखेरा। पाकीज़ा में ‘चलते चलते’ के शुरुआती संगीत में उनकी सरंगी का प्रयोग बहुत ही भावपूर्ण था। मुग़ल-ए-आज़म के ‘प्यार किया तो डरना क्या’ में उनके सरंगी वादन ने एक विद्रोही उत्साह का अहसास करवाया, जो उस गीत की आत्मा से मेल खाता था।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति और सम्मान

पंडित राम नारायण का प्रभाव भारत की सीमाओं से बाहर भी बहुत गहरा था। उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल और ब्रिटेन में बीबीसी प्रॉम्स जैसे प्रतिष्ठित स्थलों पर प्रदर्शन किया। उनके इस प्रयास ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया। अपने बड़े भाई पंडित चतुरलाल के साथ, उन्होंने 1960 के दशक में यूरोप का दौरा किया और सरंगी को एक शास्त्रीय वाद्य के रूप में प्रस्तुत किया।

उन्हें पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। ये पुरस्कार उनकी महानता को सिद्ध करते हैं और उन्हें भारतीय सरंगी के सर्वोच्च साधक के रूप में मान्यता प्रदान करते हैं।

भारतीय शास्त्रीय संगीत पर प्रभाव और विरासत

पंडित राम नारायण ने सरंगी को एक संगत वाद्य से एकल वाद्य के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई। उनके द्वारा अपनाई गई शैली को “गायकी अंग” कहा जाता था, जो मानवीय भावनाओं की अभिव्यक्ति में सक्षम थी। उनकी पुत्री अरुणा नारायण ने उनके नक्शे कदम पर चलते हुए सरंगी को अपनाया, जबकि उनके पुत्र बृज नारायण ने सरोद वादन को चुना।

पंडित राम नारायण ने सरंगी के पारंपरिक उपयोग को बदलते हुए इसे शास्त्रीय संगीत में नई पहचान दी। उनके योगदान के कारण नई पीढ़ियाँ आज इस वाद्य को अपनाने के लिए प्रेरित हो रही हैं। उनकी तपस्या, समर्पण, और क्रांतिकारी दृष्टिकोण ने उन्हें संगीत प्रेमियों के बीच एक महानायक बना दिया।

समाचार सारांश:

Field Classical Music, Sarangi Maestro
चर्चा में क्यों? पंडित राम नारायण का 8 नवंबर 2024 को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे सारंगी को एक संगत वाद्य से एकल वाद्य में बदलने के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने भारतीय शास्त्रीय और फिल्म संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनका कार्य और योगदान पंडित राम नारायण ने सारंगी को एकल संगीत वाद्ययंत्र के रूप में लोकप्रिय बनाया, रॉयल अल्बर्ट हॉल और बीबीसी प्रोम्स जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रतिष्ठित बॉलीवुड संगीत में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं, मुगल-ए-आज़म, पाकीज़ा, ताज महल जैसी फ़िल्मों में योगदान दिया। उन्हें पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के साथ जोड़ने का श्रेय दिया जाता है।
पिछले पुरस्कार या मान्यता पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

आईसीआईसीआई बैंक, टाइम्स इंटरनेट ने प्रीमियम मेटल क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया

आईसीआईसीआई बैंक और टाइम्स इंटरनेट ने ‘टाइम्स ब्लैक आईसीआईसीआई बैंक क्रेडिट कार्ड’ लॉन्च किया है,…

1 day ago

टाटा पावर और केनरा बैंक ने रूफटॉप सोलर लोन के लिए साझेदारी की

टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी, जो टाटा पावर की एक इकाई है, ने छत पर सोलर…

1 day ago

एनटीपीसी बिहार में परमाणु विद्युत परियोजना स्थापित करेगी: सीएमडी गुरदीप सिंह

एनटीपीसी, जो भारत की प्रमुख पावर कंपनी है, ने बिहार में एक न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट…

1 day ago

दिल्ली 2025 पैरा एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा

भारत पहली बार 2025 पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप की मेजबानी करने के लिए तैयार है,…

1 day ago

24वीं बिम्सटेक वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (एसओएम)

भारत ने 20 दिसंबर 2024 को थाईलैंड द्वारा वर्चुअल रूप से आयोजित 24वीं BIMSTEC वरिष्ठ…

1 day ago

विश्व बास्केटबॉल दिवस 2024: महत्व और इतिहास

हर साल 21 दिसंबर को विश्व बास्केटबॉल दिवस मनाया जाता है, जो इस खेल के…

1 day ago