साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपने अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ हिंदी लेखिका उषा किरण खान का निधन हो गया। वो पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। उनके लेखन में मिथिला का इतिहास, कला, संस्कृति और समाज का सौंदर्य भी दिखता था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।
भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित उषा किरण खान का जन्म 24 अक्टूबर, 1945 को बिहार के दरभंगा जिले के लहेरियासराय में हुआ था। उषा किरण खान ने ‘भामती : एक अविस्मरणीय प्रेमकथा’, ‘सृजनहार’, ‘पानी पर लकीर’, ‘फागुन के बाद’, ‘सीमांत कथा’ और ‘हसीना मंजिल’ समेत कई उपन्यासों की रचना की।
उषा किरण खान को 2011 में उनके मैथिली भाषा में लिखे गए उपन्यास ‘भामती : एक अविस्मरणीय प्रेमकथा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2012 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा उनके उपन्यास ‘सृजनहार’ के लिए कुसुमांजलि साहित्य सम्मान और 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।
बता दें कि उनके पति सुपौल-बिरौल निवासी रामचंद्र खां वर्ष 1968 से 2003 तक भारतीय पुलिस सेवा में अपनी सेवा दी। रामचंद्र खां दरभंगा के भी प्रशासनिक पदाधिकारी रह चुके हैं। उनके चार बच्चे हैं।
डॉ. उषा करण खान के कथा साहित्य में वर्तमान समाज विषय पर शोध करने वाले जनता कोशी महाविद्यालय बिरौल के सहायक प्राध्यापक डॉ. शंभू कुमार पासवान ने कहा कि पद्मश्री उषा करण खान की रचनाओं में गांव, किसान, धान कुंटती महिलाएं, जाता पिसता महिलाओं की व्यथाएं देखने को मिलती है।
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