प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और लेखक मेघनाद देसाई का 85 वर्ष की आयु में निधन

अर्थशास्त्र और साहित्य जगत, भारत में जन्मे प्रख्यात ब्रिटिश अर्थशास्त्री, लेखक और सहकर्मी लॉर्ड मेघनाद देसाई के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है। देसाई का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपनी तीक्ष्ण बुद्धि, स्वतंत्र विचारों और शैक्षणिक जगत तथा सार्वजनिक जीवन में स्थायी योगदान के लिए प्रसिद्ध देसाई अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं, जिसने भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच अनूठे तरीकों से सेतु का काम किया।

प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक यात्रा

मेघनाद देसाई का जन्म 1940 में वडोदरा (गुजरात) में हुआ था। उनकी अकादमिक प्रतिभा उन्हें अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय तक ले गई, जहाँ उन्होंने 1963 में अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 1965 में वे लंदन चले गए और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) से जुड़ गए। वहां उन्होंने एक व्याख्याता के रूप में कार्य शुरू किया और दशकों में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर और बाद में एमेरिटस प्रोफेसर बने। उन्होंने न केवल छात्रों की पीढ़ियों को मार्गदर्शन दिया बल्कि वैश्विक आर्थिक बहसों को भी दिशा दी।

राजनीतिक जीवन और जनसेवा

1991 में, उन्हें हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लेबर पार्टी के सदस्य के रूप में नामित किया गया। वे ब्रिटिश राजनीति में भारतीय मूल के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक बने। हालांकि, 2020 में उन्होंने लेबर पार्टी से इस्तीफा दे दिया, यह कहते हुए कि पार्टी यहूदी विरोधी नस्लवाद को रोकने में असफल रही है। इसके बाद वे क्रॉसबेंच पीयर के रूप में सेवा देते रहे।

उनका योगदान केवल शिक्षा और राजनीति तक सीमित नहीं था—वे भारत और ब्रिटेन के संबंधों को मज़बूत करने में भी एक सांस्कृतिक सेतु की भूमिका में रहे। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।

साहित्यिक योगदान

मेघनाद देसाई एक प्रबुद्ध लेखक भी थे। उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति और संस्कृति पर कई किताबें लिखीं।

  • उनकी अंतिम पुस्तक (2022) थी: “The Poverty of Political Economy: How Economics Abandoned the Poor”, जिसमें उन्होंने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की कड़ी आलोचना की।

  • 2004 में, उन्होंने “Nehru’s Hero: Dilip Kumar in the Life of India” लिखी—यह एक अनूठी जीवनी थी जो दिलीप कुमार के जीवन के माध्यम से भारतीय सिनेमा, राजनीति और संस्कृति को जोड़ती है।

भारत-ब्रिटेन संबंधों में विरासत

वे Gandhi Statue Memorial Trust के संस्थापक-ट्रस्टी थे और उन्होंने लंदन के संसद चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए धन जुटाने का नेतृत्व किया। यह प्रतिमा 2015 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन द्वारा उद्घाटित की गई थी। यह पहल भारत-ब्रिटेन मित्रता का प्रतीक बनी और सांस्कृतिक कूटनीति में देसाई की दूरदर्शिता को दर्शाती है।

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

MEITY और MEA ने DigiLocker के जरिए पेपरलेस पासपोर्ट वेरिफिकेशन शुरू किया

भारत में डिजिटल इंडिया को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY)…

2 hours ago

RBI मौद्रिक नीति दिसंबर 2025: दरों में कटौती और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ZL के तहत भारत की मौद्रिक नीति समिति…

4 hours ago

ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी 2026 तक गुरुग्राम में अपना पहला भारतीय कैंपस खोलेगी

भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ऑस्ट्रेलिया की…

4 hours ago

जानें कैसे 29 साल की लड़की बनी दुनिया की सबसे युवा सेल्फ-मेड महिला अरबपति

सिर्फ 29 साल की उम्र में लुवाना लोप्स लारा (Luana Lopes Lara) ने दुनिया की…

5 hours ago

World Soil Day 2025: जानें मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…

6 hours ago

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…

6 hours ago