भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने परियोजना वित्तपोषण (Project Finance) के लिए अपने अंतिम दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें प्रावधान मानदंडों (provisioning norms) को नरम बनाया गया है और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) व रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (REC) जैसे प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को राहत दी गई है। ये दिशानिर्देश 1 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे और लंबी अवधि के बुनियादी ढांचा वित्तपोषण को आसान बनाने के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने का उद्देश्य रखते हैं।
क्यों है यह खबर में?
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RBI द्वारा हाल ही में जारी किए गए अंतिम दिशा-निर्देश नरम प्रावधान नियमों के कारण चर्चा में हैं।
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ये नियम पूर्वव्यापी (retrospective) नहीं हैं, जिससे मौजूदा प्रोजेक्ट्स को राहत मिलेगी।
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ब्रोकरेज फर्म Motilal Oswal जैसे विशेषज्ञों ने REC और PFC पर ‘Buy’ रेटिंग दोहराई है, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
RBI के अंतिम दिशानिर्देश: मुख्य बिंदु
- प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2025 को या उसके बाद स्वीकृत ऋणों पर लागू।
प्रावधान मानदंडों में ढील दी गई,
निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए:
- 1% मानक प्रावधान
- वाणिज्यिक रियल एस्टेट (CRE) के लिए 1.25%।
एक बार चालू होने पर
- सामान्य परियोजना वित्त के लिए 0.4%।
- CRE-आवासीय आवास के लिए 0.75%।
- CRE परियोजनाओं के लिए 1%।
कोई पूर्वव्यापी आवेदन नहीं: मौजूदा ऋण जो वित्तीय समापन प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें नए मानदंडों से छूट दी गई है।
परियोजना में देरी पर लचीलापन:
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बुनियादी ढांचा परियोजनाएं: 3 वर्ष तक की देरी अनुमन्य
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गैर-बुनियादी ढांचा परियोजनाएं: 2 वर्ष तक अनुमन्य
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अतिरिक्त प्रावधान की आवश्यकता होगी, लेकिन परियोजना शुरू होने के बाद वापस लिया जा सकता है।
दिशानिर्देशों का उद्देश्य
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बैंकों और NBFCs के बीच परियोजना वित्तपोषण मानदंडों में एकरूपता लाना।
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चालू बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में व्यवधान को रोकना।
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नए नियमों की ओर सुव्यवस्थित संक्रमण सुनिश्चित करना।
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वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को बढ़ावा देना।
NBFCs पर प्रभाव
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PFC और REC, जो बिजली और बुनियादी ढांचे के प्रमुख वित्त प्रदाता हैं, इस नीति बदलाव से लाभ में रहेंगे।
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मौजूदा Stage 1 और Stage 2 provisioning:
NBFC | वर्तमान प्रावधान |
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REC | 0.95% |
PFC | 1.13% |
संभावित रूप से NBFCs यह अतिरिक्त लागत उधारकर्ताओं को ब्याज दर के रूप में हस्तांतरित कर सकते हैं।
स्थैतिक जानकारी
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PFC (Power Finance Corporation) और REC (Rural Electrification Corporation)
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अधीन ‘महारत्न’ CPSEs हैं।
ये भारत की बिजली और संबद्ध बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के प्रमुख वित्त प्रदाता हैं।
इनका नेटवर्क और ऋण वितरण देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता है।