भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सोने के गहनों पर ऋण (Gold Loan) देने वाले गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए उच्च ऋण-से-मूल्य (Loan-to-Value या LTV) अनुपात की अनुमति देने के लिए अंतिम निर्देश जारी किए हैं। यह कदम विशेष रूप से कम राशि के कर्जों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है और इससे NBFCs को लचीलापन व विकास के नए अवसर मिलेंगे। हालांकि, सोने की कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव को देखते हुए बेहतर जोखिम प्रबंधन की भी आवश्यकता होगी।
क्यों है यह खबर में?
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तारीख: 13 जून 2025
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घटना: क्रिसिल रेटिंग्स (Crisil Ratings) ने RBI के संशोधित अंतिम दिशानिर्देशों का विश्लेषण प्रकाशित किया।
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प्रभाव:
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नए नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे।
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विशेष रूप से ₹2.5 लाख तक के ऋणों के लिए LTV 85% तक बढ़ा दिया गया है (पहले 75%)।
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RBI के मुख्य संशोधन – गोल्ड लोन के लिए
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टियर-आधारित LTV ग्रिड शुरू की गई – यानी ऋण राशि के अनुसार अलग-अलग LTV सीमाएं।
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बुलेट रीपेमेंट लोन के लिए LTV गणना पद्धति बदली:
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अब केवल वितरित राशि नहीं, बल्कि ब्याज समेत कुल राशि को ध्यान में रखकर LTV तय होगा।
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Crisil Ratings की प्रतिक्रिया
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यह निर्णय कम आय वर्ग के उधारकर्ताओं को सेवाएं देने वाले NBFCs के लिए लाभकारी है।
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NBFCs के लगभग 70% गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में ऋण ₹5 लाख से कम के हैं।
दो प्रमुख फायदे:
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कानूनी अनुपालन में लचीलापन:
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अब ब्याज जुड़ने पर भी LTV सीमा पार नहीं होगी, जिससे बुलेट लोन में नियमों का पालन आसान होगा।
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लोन देने की गुंजाइश बढ़ेगी:
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बुलेट लोन में LTV 65–68% से बढ़कर 70–75% तक हो सकता है।
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चेतावनी और सावधानी
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उच्च LTV से सोने की कीमतों में गिरावट आने पर सुरक्षा मार्जिन कम हो सकता है।
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इसलिए NBFCs को चाहिए कि वे:
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जोखिम प्रबंधन की रणनीतियाँ मजबूत करें।
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समय पर नीलामी (Auction) कर सकें ताकि नुकसान कम हो।
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कार्यान्वयन समयरेखा
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नए दिशानिर्देश 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे।
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NBFCs को अपने सिस्टम, प्रक्रियाओं और अनुपालन ढांचे में बदलाव के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
समग्र क्षेत्रीय प्रभाव
Crisil का मानना है कि ये परिवर्तन प्रारंभ में ऑपरेशनल समायोजन की मांग करेंगे, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ होंगे:
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ऋण वृद्धि (Credit Growth) को समर्थन
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वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा
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NBFCs की लाभप्रदता में सुधार
निष्कर्ष:
RBI का यह कदम न केवल NBFCs को राहत देगा बल्कि गोल्ड लोन को और अधिक सुलभ, सुरक्षित और प्रभावी बनाएगा – खासकर उन लोगों के लिए जो कम राशि के सुरक्षित ऋण की तलाश में हैं। इससे भारत के वित्तीय क्षेत्र में समावेशी वृद्धि को बल मिलेगा।