कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) वित्तीय सेवाओं को नए सिरे से गढ़ रही है—धोखाधड़ी की पहचान से लेकर ऋण मूल्यांकन तक। लेकिन यदि इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश न हों, तो यह जोखिमों को और बढ़ा सकती है। इस बदलाव को सही दिशा देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने दिसंबर 2024 में एक समिति गठित की, ताकि वित्तीय क्षेत्र के लिए फ्रेमवर्क फॉर रिस्पॉन्सिबल एंड एथिकल एनेबलमेंट ऑफ़ एआई (FREE-AI) तैयार किया जा सके। इसका उद्देश्य सरल किंतु महत्वाकांक्षी है: नवाचार को बढ़ावा देना और साथ ही विश्वास, निष्पक्षता एवं स्थिरता की रक्षा करना।
यह समिति आईआईटी बॉम्बे के डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य की अध्यक्षता में बनी, जिसमें नीति, उद्योग और शिक्षाविद् जगत के विशेषज्ञ शामिल थे। समिति को निम्न कार्य सौंपे गए:
एआई अपनाने की स्थिति का आकलन करना
वैश्विक दृष्टिकोणों की समीक्षा करना
जोखिमों की पहचान करना
भारत के लिए उपयुक्त शासन-ढाँचा सुझाना
समिति ने चार-आयामी कार्यप्रणाली अपनाई:
विभिन्न हितधारकों से व्यापक परामर्श
बैंकों/एनबीएफसी/फिनटेक कंपनियों पर दो राष्ट्रीय सर्वेक्षण (DoS और FTD)
वैश्विक मानकों और कानूनों का अध्ययन
RBI के मौजूदा दिशा-निर्देशों (आईटी, साइबर सुरक्षा, आउटसोर्सिंग, डिजिटल लेंडिंग और उपभोक्ता संरक्षण) की खामियों का विश्लेषण
एआई उत्पादकता बढ़ाने का वादा करता है—प्रक्रियाओं के स्वचालन, व्यक्तिगत ग्राहक अनुभव (बहुभाषी चैट/वॉयस), जोखिम विश्लेषण में सुधार, और वैकल्पिक डाटा के ज़रिए वित्तीय समावेशन द्वारा। भारत की विविधता बहुभाषी और क्षेत्र-अनुकूल मॉडल (कुशल SLMs और LTD “त्रिमूर्ति” मॉडल सहित) की माँग करती है, साथ ही सुरक्षित प्रयोगों को तेज़ करने के लिए जेनएआई (GenAI) नवाचार सैंडबॉक्स की ज़रूरत है।
रिपोर्ट मॉडल और परिचालन जोखिमों को रेखांकित करती है—पक्षपात, अपारदर्शिता, भ्रमित परिणाम (hallucinations), मॉडल का अस्थिर होना (drift), डाटा में गड़बड़ी (poisoning), प्रतिकूल प्रॉम्प्ट्स, और थर्ड-पार्टी पर अत्यधिक निर्भरता। इसमें प्रणालीगत चिंताएँ (भीड़-चाल, procyclicality) और साइबर सुरक्षा खतरों (स्वचालित फ़िशिंग, डीपफेक्स) का भी उल्लेख है। गैर-निश्चित (non-deterministic) प्रणालियों में दायित्व जटिल होता है और उपभोक्ता संरक्षण के लिए स्पष्ट खुलासा और एआई-आधारित निर्णयों को चुनौती देने की व्यवस्था आवश्यक है।
दृष्टिकोण अलग-अलग हैं:
यूरोपीय संघ (EU AI Act): क्षैतिज, जोखिम-आधारित नियम
सिंगापुर: टूलकिट (FEAT/Veritas) और मार्गदर्शन का मिश्रण
यूके/यूएस: सिद्धांत-आधारित दृष्टिकोण
चीन: एआई प्रकार के अनुसार विनियमन
भारत का रुख नवाचार समर्थक लेकिन सुरक्षा-संतुलित है, जिसे IndiaAI मिशन (₹10,372 करोड़) और AI सेफ्टी इंस्टीट्यूट (AISI) का समर्थन प्राप्त है, जो मॉडलों का मूल्यांकन करेगा और सुरक्षित व भरोसेमंद एआई को बढ़ावा देगा।
समिति ने अपनाने के लिए सात सूत्र स्पष्ट किए:
विश्वास (Trust)
लोग पहले (People First)
संयम से अधिक नवाचार (Innovation over Restraint)
निष्पक्षता और समानता (Fairness & Equity)
उत्तरदायित्व (Accountability)
समझने योग्य डिज़ाइन (Understandable by Design)
सुरक्षा, लचीलापन और स्थिरता (Safety, Resilience & Sustainability)
इनको छह स्तंभों से लागू किया गया है:
अवसंरचना (Infrastructure): साझा डेटा/कंप्यूट, एआई इनोवेशन सैंडबॉक्स, सेक्टर मॉडल
नीति (Policy): आनुपातिक, जोखिम-आधारित मार्गदर्शन; आउटसोर्सिंग व विक्रेता एआई पर स्पष्टता
क्षमता (Capacity): बोर्ड से लेकर स्टाफ तक एआई साक्षरता, उत्कृष्टता केंद्र, साझा प्लेबुक्स
शासन (Governance): बोर्ड-स्वीकृत एआई नीति, जीवनचक्र नियंत्रण, प्रलेखन
संरक्षण (Protection): उपभोक्ता खुलासा, निष्पक्षता परीक्षण, मानव हस्तक्षेप (human-in-the-loop)
आश्वासन (Assurance): साइबर सुरक्षा में वृद्धि, घटना रिपोर्टिंग, स्वतंत्र ऑडिट
रिपोर्ट में मुख्य कदम सुझाए गए हैं:
साझा कंप्यूट/डेटा ढाँचा बनाना
GenAI सैंडबॉक्स शुरू करना
देशी वित्तीय-ग्रेड मॉडल को बढ़ावा देना
बोर्ड-स्वीकृत एआई नीतियाँ अनिवार्य करना
उत्पाद अनुमोदन व ऑडिट दायरे में एआई को शामिल करना
एआई-विशिष्ट साइबर सुरक्षा और घटना रिपोर्टिंग को मजबूत करना
ग्राहकों को स्पष्ट बताना कि वे एआई से संवाद कर रहे हैं
सेक्टर की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना
कम-जोखिम वाले उपयोगों के लिए अनुपालन सरल बनाना
एआई अपनाना अभी उथला है: केवल 20.8% (127/612) विनियमित संस्थाएँ एआई का उपयोग कर रही हैं या विकसित कर रही हैं।
टियर-1 शहरी सहकारी बैंक (UCBs): 0%
टियर-2/3 UCBs: <10%
एनबीएफसी: 27%
एआरसी: 0%
सामान्य उपयोग:
ग्राहक सहायता (15.6%)
ऋण मूल्यांकन (13.7%)
बिक्री/विपणन (11.8%)
साइबर सुरक्षा (10.6%)
35% ने स्केलेबिलिटी के लिए पब्लिक क्लाउड को प्राथमिकता दी।
शासन क्षमता कमज़ोर है:
~1/3 के पास बोर्ड-स्तरीय निगरानी
~1/4 के पास औपचारिक घटना-प्रबंधन तंत्र
नियंत्रण और टूलिंग उपयोग:
SHAP/LIME (15%)
ऑडिट लॉग (18%)
पक्षपात मान्यता (bias validation) 35% (मुख्यतः पूर्व-परिनियोजन)
आवधिक पुनःप्रशिक्षण (37%)
मॉडल ड्रिफ्ट निगरानी (21%)
रीयल-टाइम निगरानी (14%)
मुख्य बाधाएँ: प्रतिभा की कमी, लागत/कंप्यूट सीमाएँ, डेटा गुणवत्ता और कानूनी अस्पष्टता।
भारत में एआई अर्थव्यवस्था दो गति वाली बन सकती है—जहाँ बड़े बैंक आगे बढ़ेंगे और छोटे UCBs/NBFCs पीछे छूट जाएँगे। यही कारण है कि साझा अवसंरचना, स्पष्ट दिशा-निर्देश और क्षमता निर्माण FREE-AI का केंद्रीय तत्व है।
रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि FREE-AI कैसे मेल खाता है:
आउटसोर्सिंग: विक्रेता एआई पर भी RE की ज़िम्मेदारी बनी रहेगी, एआई-विशिष्ट धाराएँ शामिल होंगी
आईटी/साइबर सुरक्षा: मॉडल, डेटा पाइपलाइन, एक्सेस/ऑडिट ट्रेल्स पर भी नियंत्रण बढ़ेगा
डिजिटल लेंडिंग: ऑडिट योग्य, समझने योग्य ऋण मॉडल; डेटा न्यूनतमकरण और सहमति
उपभोक्ता संरक्षण: खुलासा और एआई परिणामों पर शिकायत निवारण
साथ ही, मॉडल रजिस्टर, वंशावली (lineage) और ट्रेसबिलिटी का सुझाव है ताकि पर्यवेक्षण में आसानी हो।
एआई सैंडबॉक्स को कार्यान्वित करना
बोर्ड नीति टेम्पलेट और घटना रिपोर्टिंग प्रारूप जारी करना
बहुभाषी समावेशन मॉडल को बढ़ावा देना
बोर्ड, जोखिम, ऑडिट और तकनीकी स्तर पर प्रशिक्षण बढ़ाना
पारदर्शी, ऑडिट योग्य एआई सुनिश्चित करना—पक्षपात जाँच और मानव अपील विकल्प के साथ
कम-जोखिम उपयोगों (जैसे FAQ चैट) के लिए आनुपातिक अनुपालन मार्ग तेजी से अपनाने को बढ़ा सकता है, बिना सुरक्षा को कम किए।
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