भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अहमदाबाद में 29वीं स्थायी सलाहकार समिति (SAC) बैठक आयोजित की, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को ऋण प्रवाह की समीक्षा और सुदृढ़ीकरण करना था। यह बैठक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे की अध्यक्षता में हुई, जिसमें संस्थागत ऋण समर्थन, वित्तीय चुनौतियों और डिजिटल समाधान को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई। बैठक में वैकल्पिक क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल, डिजिटल लेंडिंग फ्रेमवर्क और उचित ऋण प्रथाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे एमएसएमई को पारदर्शी और सुलभ वित्तीय सेवाएं मिल सकें।
बैठक के प्रमुख बिंदु:
1. एमएसएमई का महत्व
- डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने भारत की आर्थिक वृद्धि में एमएसएमई के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।
- आरबीआई ने एमएसएमई के लिए ऋण पहुंच को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
2. संस्थागत ऋण समर्थन पहल
- यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) को बढ़ावा देना ताकि ऋण प्रवाह को सरल और सुगम बनाया जा सके।
- अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क का विस्तार, जिससे वित्तीय डेटा साझाकरण में सुधार होगा।
- नियामक सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox) लागू करना, जिससे नवाचार वित्तीय समाधानों का परीक्षण किया जा सके।
3. एमएसएमई द्वारा झेली जाने वाली चुनौतियाँ
- वित्तीय साक्षरता की कमी, जिसके कारण ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयाँ होती हैं।
- जानकारी की असमानता, जिससे ऋण मंजूरी और क्रेडिट निर्णय प्रभावित होते हैं।
- देरी से भुगतान, जिससे एमएसएमई की नकदी प्रवाह और वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
4. एमएसएमई के लिए ऋण समाधान
- डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म और वैकल्पिक क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल को बढ़ावा देना।
- TReDS (ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम) को अपनाने में तेजी लाना, जिससे त्वरित वित्त पोषण संभव हो।
- क्रेडिट गारंटी योजनाओं का उपयोग बढ़ाना, जिससे ऋणदाताओं का विश्वास मजबूत हो।
- वित्तीय संकट में फंसे एमएसएमई के पुनरुद्धार और पुनर्वास को प्रोत्साहित करना।
5. उचित ऋण प्रथाएँ
- ऋण वितरण और क्रेडिट मंजूरी में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- वित्तीय संकट से जूझ रहे एमएसएमई के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना।
- एमएसएमई संघों को मजबूत करना ताकि क्षमता निर्माण और सूचना असमानता की समस्या को हल किया जा सके।
श्रेणी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | एमएसएमई ऋण प्रवाह पर 29वीं स्थायी सलाहकार समिति (SAC) बैठक |
अध्यक्ष | स्वामीनाथन जे, डिप्टी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) |
मुख्य फोकस क्षेत्र | एमएसएमई ऋण प्रवाह को बढ़ावा देना, डिजिटल लेंडिंग, उचित ऋण प्रथाएँ |
प्रमुख पहलों पर चर्चा | यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI), अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क, नियामक सैंडबॉक्स |
पहचानी गई चुनौतियाँ | वित्तीय साक्षरता की कमी, जानकारी की असमानता, देरी से भुगतान |
प्रस्तावित समाधान | डिजिटल समाधान, वैकल्पिक क्रेडिट मूल्यांकन, TReDS को अपनाना |
उचित ऋण प्रथाएँ | पारदर्शिता, सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण, एमएसएमई क्षमता निर्माण |
समग्र लक्ष्य | भारत में एमएसएमई के लिए संस्थागत ऋण समर्थन को मजबूत बनाना |