RBI की हालिया रिपोर्ट ने महामारी के बाद राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति में महत्वपूर्ण सुधारों को रेखांकित किया है, साथ ही उन क्षेत्रों की पहचान की है, जहां और सुधार की आवश्यकता है।
| मुख्य बिंदु | विवरण |
| समाचार में क्यों? | RBI ने “राज्य वित्त: 2024-25 के बजट का अध्ययन” रिपोर्ट जारी की, जिसमें महामारी के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार और बढ़ती सब्सिडी व संभावित दायित्वों जैसी चुनौतियां उजागर की गईं। |
| सकल वित्तीय घाटा (GFD) | 2024-25 के लिए GDP का 3.2% बजट किया गया है, जो वित्तीय समेकन प्रयासों के अनुरूप है। |
| राजस्व घाटा | 2022-23 और 2023-24 के लिए GDP का 0.2% पर बनाए रखा गया। |
| पूंजीगत व्यय | GDP का 2.4% (2021-22) से बढ़कर 2.8% (2023-24) हुआ; 2024-25 के लिए 3.1% बजट किया गया। |
| बकाया दायित्व | मार्च 2024 तक GDP का 28.5%, जो मार्च 2021 के 31% से कम है, लेकिन महामारी-पूर्व स्तर (2019 में 25.3%) से अधिक है। |
| संभावित दायित्व | राज्यों की गारंटी मार्च 2023 तक GDP का 3.8%, जबकि मार्च 2017 में यह 2% थी। |
| सब्सिडी व्यय | 14 राज्यों द्वारा महिलाओं के लिए आय हस्तांतरण योजनाओं के लिए ₹2 लाख करोड़ (GDP का 0.6%) आवंटित। |
| बिजली क्षेत्र के घाटे | 2022-23 तक डिस्कॉम घाटे ₹6.5 लाख करोड़ (GDP का 2.4%)। |
| सिफारिशें | ऋण समेकन, सब्सिडी का युक्तिकरण, और वित्तीय ढांचे में सुधार के लिए जोर दिया गया। |
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