भारत के वित्तीय क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड अधिशेष (surplus) हस्तांतरण मंजूर किया है। यह निर्णय RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में 23 मई 2025 को आयोजित केंद्रीय निदेशक मंडल की 616वीं बैठक में लिया गया। इस निर्णय में संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (Economic Capital Framework – ECF) के अंतर्गत आकस्मिक जोखिम बफर (Contingent Risk Buffer – CRB) को बढ़ाकर 7.5% किया गया है।
क्यों है खबरों में?
RBI द्वारा भारत सरकार को अब तक का सबसे बड़ा लाभांश (dividend) हस्तांतरित किया गया है, जो कि राजकोषीय नीति, घाटा प्रबंधन और देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था का संकेत है।
संदर्भ और निर्णय
-
बैठक संख्या: 616वीं केंद्रीय निदेशक मंडल बैठक
-
तारीख: 23 मई 2025
-
अध्यक्षता: संजय मल्होत्रा, गवर्नर, RBI
-
हस्तांतरित अधिशेष: ₹2,68,590.07 करोड़ (FY25 के लिए)
अधिशेष स्थानांतरण के बारे में
-
यह अधिशेष RBI की आय (जैसे: ओपन मार्केट ऑपरेशन्स, विदेशी मुद्रा कारोबार, निवेश) से आता है।
-
यह राशि खर्चों, प्रावधानों और जोखिम बफर को समायोजित करने के बाद सरकार को दी जाती है।
आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) में बदलाव
-
2018-19 से 2021-22: 5.5% (कोविड अवधि)
-
FY23: 6.0%
-
FY24: 6.5%
-
FY25: 7.5% (15 मई 2025 को स्वीकृत संशोधित ECF के अनुसार)
आर्थिक पूंजी ढांचा (ECF) क्या है?
-
शुरुआत: 2019 (बिमल जालान समिति की सिफारिशों पर आधारित)
-
उद्देश्य: RBI की वित्तीय स्थिरता और सरकार की राजकोषीय आवश्यकताओं के बीच संतुलन सुनिश्चित करना
-
कार्य: जोखिम प्रावधान और अधिशेष वितरण के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करना
बैठक में शामिल प्रमुख सदस्य
-
उप-गवर्नर: एम. राजेश्वर राव, टी. रबी शंकर, स्वामिनाथन जे., डॉ. पूनम गुप्ता
-
अन्य सदस्य: अजय सेठ (आर्थिक कार्य विभाग), नागराजु मद्दिराला (वित्तीय सेवा विभाग), सतीश के. मराठे, रेवती अय्यर, प्रो. सचिन चतुर्वेदी, पंकज आर. पटेल, डॉ. रविंद्र धोलकिया