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RBI ने ऑफलाइन भुगतान परीक्षण के लिए एक्स्टो इंडिया को चुना

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल भुगतान की पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक और कदम उठाया है। RBI ने अपने नियामक सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox) के तहत ऑफ़लाइन भुगतान समाधान का परीक्षण करने के लिए एक्स्टो इंडिया टेक्नोलॉजीज (Exto India Technologies) को चुना है। यह पहल उन क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को समर्थन देने के लिए बनाई गई है, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित या बिल्कुल नहीं है, जिससे सभी के लिए एक समावेशी भुगतान प्रणाली सुनिश्चित की जा सके।

RBI ऑफ़लाइन भुगतान समाधानों का परीक्षण क्यों कर रहा है?

भारत में डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़े हैं, लेकिन कई ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस समस्या को हल करने के लिए, RBI बिना रियल-टाइम इंटरनेट कनेक्शन के लेनदेन की सुविधा प्रदान करने के तरीकों का पता लगा रहा है। ऑफ़लाइन भुगतान विधियों के एकीकरण से, एक्स्टो इंडिया टेक्नोलॉजीज जैसी फिनटेक कंपनियां वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।

RBI द्वारा पेश किया गया Regulatory Sandbox एक परीक्षण मंच के रूप में कार्य करता है, जहां फिनटेक कंपनियां सार्वजनिक रूप से लॉन्च करने से पहले अपने नए वित्तीय तकनीकों का परीक्षण कर सकती हैं। एक्स्टो इंडिया टेक्नोलॉजीज उन कंपनियों में से एक है जो अब भारत में ऑफ़लाइन डिजिटल लेनदेन को क्रांतिकारी रूप से बदलने वाले समाधानों का परीक्षण कर रही है।

RBI का नियामक सैंडबॉक्स क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

फरवरी 2024 में, RBI ने अपने नियामक सैंडबॉक्स के लिए एक सक्षम ढांचा जारी किया, जिसका उद्देश्य फिनटेक नवाचारों को बढ़ावा देना था। यह सैंडबॉक्स कंपनियों को वास्तविक ग्राहकों के साथ अपने उत्पादों का परीक्षण करने की अनुमति देता है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि वे सभी नियामक आवश्यकताओं का पालन करें।

इस सैंडबॉक्स का ध्यान निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:

  • डिजिटल भुगतान
  • डिजिटल केवाईसी (Know Your Customer)
  • वित्तीय सेवाओं के लिए डेटा एनालिटिक्स

हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग और आईसीओ (Initial Coin Offerings) जैसी गतिविधियों को RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार इस सैंडबॉक्स के तहत अनुमति नहीं दी गई है।

क्या RBI पहले भी ऑफ़लाइन भुगतान का परीक्षण कर चुका है?

हाँ, RBI पहले भी ऑफ़लाइन भुगतान समाधानों की खोज कर चुका है। फरवरी 2023 में, HDFC बैंक ने Regulatory Sandbox के तहत “OfflinePay” नामक एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। यह परियोजना Crunchfish, IDFC First Bank और M2P Fintech के सहयोग से चलाई गई थी और इसमें बिना नेटवर्क कनेक्टिविटी के डिजिटल भुगतान का परीक्षण किया गया था।

इस पायलट परीक्षण में:

  • यह परियोजना 4 महीने तक चली और भारत के 16+ शहरों और कस्बों में लागू की गई।
  • प्रत्येक लेनदेन की सीमा ₹200 तय की गई थी।

इस पूर्व अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि ऑफ़लाइन डिजिटल भुगतान प्रणाली व्यवहारिक है और आगे के परीक्षण और नियामक समर्थन से इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है।

भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

RBI द्वारा ऑफ़लाइन भुगतान समाधानों को बढ़ावा देना डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को पाटने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। एक्स्टो इंडिया टेक्नोलॉजीज जैसी फिनटेक कंपनियों को समर्थन देकर, केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि डिजिटल लेनदेन उन क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर या अनुपलब्ध है।

इस पहल के माध्यम से:

  • ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) का विस्तार होगा।
  • भुगतान सुरक्षा में सुधार होगा, क्योंकि यह इंटरनेट निर्भरता के बिना भी संभव होगा।
  • भारत की कैशलेस अर्थव्यवस्था (Cashless Economy) की ओर बढ़ने की प्रक्रिया को बल मिलेगा।
परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु विवरण
समाचार में क्यों? RBI ने एक्स्टो इंडिया टेक्नोलॉजीज को अपने नियामक सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox) के तहत ऑफ़लाइन भुगतान समाधानों के परीक्षण के लिए चुना, ताकि बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के डिजिटल लेनदेन संभव हो सके।
नियामक सैंडबॉक्स RBI द्वारा शुरू किया गया एक नियंत्रित परीक्षण वातावरण, जो फिनटेक नवाचारों (Fintech Innovations) के परीक्षण के लिए फरवरी 2024 में लॉन्च किया गया था।
ऑफ़लाइन भुगतान वे डिजिटल लेनदेन जो रियल-टाइम इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना भी काम करते हैं, जिससे वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा मिलता है।
पिछला ऑफ़लाइन भुगतान प्रयास HDFC बैंक का ‘OfflinePay’ पायलट (फरवरी 2023), जिसे Crunchfish, IDFC First Bank और M2P Fintech के साथ साझेदारी में 16+ शहरों में परीक्षण किया गया। प्रति लेनदेन ₹200 की सीमा तय की गई थी।
नियामक सैंडबॉक्स में प्रतिबंधित गतिविधियां क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग, इनिशियल कॉइन ऑफरिंग्स (ICOs) और अन्य उच्च जोखिम वाली वित्तीय गतिविधियाँ।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा
HDFC बैंक के CEO साशिधर जगदीशन
IDFC फर्स्ट बैंक के CEO वी. वैद्यनाथन
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