भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 21 मई, 2025 को आधिकारिक तौर पर एक नए भुगतान विनियामक बोर्ड (PRB) की स्थापना की अधिसूचना जारी की, जो भारत में भुगतान प्रणालियों को विनियमित करने और उनकी निगरानी करने वाला छह सदस्यीय निकाय है। यह नया बोर्ड पहले के भुगतान और निपटान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण बोर्ड (BPSS) की जगह लेगा और इसमें पहली बार केंद्र सरकार के तीन नामित व्यक्ति शामिल हैं। PRB की अध्यक्षता RBI गवर्नर करेंगे, जो भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में केंद्रीय बैंक की निरंतर नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है।
क्यों है यह समाचार में?
RBI द्वारा PRB की अधिसूचना ऐसे समय आई है जब डिजिटल भुगतान और भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। PRB का गठन मजबूत नियामकीय निगरानी और समावेशी शासन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है, जिसमें RBI अधिकारियों के साथ-साथ सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इससे भारत की भुगतान प्रणाली की निगरानी को सरल और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।
उद्देश्य
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भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियों का नियमन और पर्यवेक्षण करना।
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RBI और सरकार के प्रतिनिधियों की भागीदारी से एकीकृत शासन ढांचा तैयार करना।
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भारत की भुगतान प्रणाली में विश्वास, सुरक्षा और नवाचार को बढ़ावा देना।
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भुगतान से संबंधित नीतियों पर RBI और सरकार के बीच समन्वय को सुगम बनाना।
पृष्ठभूमि
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PRB ने BPSS का स्थान लिया है।
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2018 में आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति ने एक स्वतंत्र भुगतान नियामक संस्था की सिफारिश की थी।
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RBI ने यह तर्क दिया था कि भुगतान नियामक बोर्ड की अध्यक्षता गवर्नर को करनी चाहिए ताकि निगरानी प्रभावी हो सके।
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अंततः सरकार और RBI के बीच सहमति बनी, जिससे सरकार के तीन प्रतिनिधि शामिल हुए, लेकिन नेतृत्व RBI के अधीन ही रहा।
संरचना और कार्यप्रणाली
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6 सदस्यीय बोर्ड, जिसकी अध्यक्षता RBI गवर्नर करेंगे।
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सदस्य:
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भुगतान और निपटान प्रणाली के प्रभारी RBI डिप्टी गवर्नर (पदेन)
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केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामांकित एक RBI अधिकारी (पदेन)
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केंद्र सरकार के तीन नामांकित प्रतिनिधि
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बोर्ड को भुगतान, IT, कानून आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों को स्थायी या अस्थायी रूप से आमंत्रित करने का अधिकार होगा।
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PRB को कम से कम वर्ष में दो बार बैठक करनी होगी।
महत्व
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सरकार और RBI के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा।
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RBI गवर्नर की अध्यक्षता से निरंतरता और विशेषज्ञता सुनिश्चित होगी।
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भुगतान प्रणाली में नवाचार, उपभोक्ता संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
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यह कदम भारत की तेजी से डिजिटलीकरण होती अर्थव्यवस्था में मजबूत शासन व्यवस्था की आवश्यकता को दर्शाता है।