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RBI मौद्रिक नीति: ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं

 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने, गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में, 5 अप्रैल से 7 अप्रैल के बीच आयोजित अपनी अप्रैल 2021 की नीति समीक्षा बैठक में लगातार पांचवीं बार प्रमुख उधार दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोनोवायरस संक्रमण में आये उछाल के कारण अनिश्चितता के बीच नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने की संभावना है.

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मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय हैं:

  • पॉलिसी रेपो दर: 4.00%
  • रिवर्स रेपो दर: 3.35%
  • सीमांत स्थायी सुविधा दर: 4.25%
  • बैंक दर: 4.25%
  • सीआरआर: 3%
  • एसएलआर: 18.00%

RBI मौद्रिक नीति की विशेषताएं और प्रमुख निर्णय: 

  • 2022 का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 5.1% पर होने का अनुमान है.
  • आरबीआई ने भी समायोजित मौद्रिक रुख को अपरिवर्तित रखा है.
  • इस बीच, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी वृद्धि 10.5% रहने का अनुमान है.
  • आरबीआई को जी-सेक अधिग्रहण कार्यक्रम के तहत जी-सेक का 1 लाख करोड़ रुपये खरीदना है.
  • एपेक्स बैंक ने केंद्र के तरीके और साधन अग्रिम में 46% की वृद्धि की है. वर्तमान सीमा 32,225 करोड़ रुपये है. इसे बढ़ाकर अब 47,010 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
  • पेमेंट बैंकों के लिए पे बैलेंस की अधिकतम सीमा को दोगुना कर 2 लाख रुपये कर दिया गया है
  • 2021-22 में नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी के लिए 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त चलनिधि सुविधा की घोषणा की गई है.

मौद्रिक नीति समिति की संरचना इस प्रकार है:

  • भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर – पदेन अध्यक्ष: श्री शक्तिकांता दास.
  • भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति के इंचार्ज- पदेन सदस्य: डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा.
  • केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित भारतीय रिजर्व बैंक के एक अधिकारी – पदेन सदस्य: डॉ. मृदुल के. सगर.
  • मुंबई स्थित इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान में प्रोफेसर: प्रो. आशिमा गोयल.
  • अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान में वित्त के प्रोफेसर: प्रो. जयंत आर वर्मा.
  • एक कृषि अर्थशास्त्री और नई दिल्ली में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के एक वरिष्ठ सलाहकार: डॉ. शशांक भिडे.

मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण साधन: 

RBI की मौद्रिक नीति में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष उपकरण हैं जिनका उपयोग मौद्रिक नीति को लागू करने के लिए किया जाता है. मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण साधन इस प्रकार हैं:

रेपो दर: यह (फिक्स्ड) ब्याज दर है, जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत सरकार और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों की संपार्श्विक के खिलाफ रातोंरात तरलता उधार ले सकते हैं.

रिवर्स रेपो दर: यह (फिक्स्ड) ब्याज दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक एलएएफ के तहत पात्र सरकारी प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता के खिलाफ रातोंरात बैंकों से तरलता को अवशोषित कर सकता है.

चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ): एलएएफ की रातोंरात और साथ ही इसके अंतर्गत सावधि रिपो नीलामियां हैं. रेपो शब्द इंटर-बैंक टर्म मनी मार्केट के विकास में मदद करता है. यह बाजार ऋण और जमा के मूल्य निर्धारण के लिए मानक निर्धारित करता है. यह मौद्रिक नीति के प्रसारण को बेहतर बनाने में मदद करता है. विकसित बाजार की स्थितियों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामी भी करता है.

सीमांत स्थायी सुविधा (MSF): MSF एक प्रावधान है जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से रातोंरात अतिरिक्त धनराशि उधार लेने में सक्षम बनाता है. बैंक अपने वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में ब्याज की दंड दर तक सीमित करके ऐसा कर सकते हैं. इससे बैंकों को उनके द्वारा सामना किए गए अप्रत्याशित तरलता झटके को बनाए रखने में मदद मिलती है.


सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  • RBI के 25 वें गवर्नर: शक्तिकांत दास; मुख्यालय: मुंबई; स्थापना: 1 अप्रैल 1935, कोलकाता.

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