भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पुष्टि की है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एचडीएफसी बैंक, और आईसीआईसीआई बैंक को घरेलू प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों (D-SIBs) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। अप्रैल 2025 से SBI और HDFC बैंक के लिए अतिरिक्त पूंजी आवश्यकताओं में वृद्धि होगी। D-SIB ढांचा, जिसे RBI ने 2014 में पेश किया था और 2023 में अपडेट किया, इन बैंकों को उनके आकार, जटिलता और वित्तीय प्रणाली में उनकी कनेक्टिविटी के कारण “असफल होने के लिए बहुत महत्वपूर्ण” मानता है। इन बैंकों को उच्च पूंजी बफर के अधीन किया गया है ताकि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
D-SIB वर्गीकरण के प्रमुख बिंदु
D-SIB ढांचा और इसके प्रभाव
SBI और HDFC बैंक के लिए भविष्य की दृष्टि 1 अप्रैल, 2025 से SBI और HDFC बैंक के लिए बढ़ी हुई CET1 आवश्यकता सुनिश्चित करेगी कि ये बैंक वित्तीय दबाव को बेहतर तरीके से संभाल सकें, जो भारतीय बैंकिंग प्रणाली की समग्र स्थिरता में योगदान देगा।
Why in News | Key Points |
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आरबीआई ने एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को डी-एसआईबी के रूप में बरकरार रखा | एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक घरेलू प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) बने रहेंगे।
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अप्रैल 2025 से एसबीआई की अतिरिक्त सीईटी1 आवश्यकता बढ़कर 0.80% हो जाएगी, एचडीएफसी बैंक की 0.40% हो जाएगी।
फ्रेमवर्क जारी करना | डी-एसआईबी ढांचा आरबीआई द्वारा 22 जुलाई 2014 को जारी किया गया था और दिसंबर 2023 में अद्यतन किया गया था।
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2015 में एसबीआई को डी-एसआईबी के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
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