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आरबीआई ने एमएसएमई के लिए प्रति उधारकर्ता के लिए पूंजीकरण में वृद्धि की

सेवा क्षेत्र के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए और बैंक को इस क्षेत्र में अधिक उधार देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रीय ऋण देने के तहत वर्गीकरण के लिए सूक्ष्म / लघु और मध्यम उद्यमों (सेवाओं) को प्रति उधारकर्ता ऋण सीमाओं को दूर करने का निर्णय लिया है.

अब तक, माइक्रो / लघु और मध्यम उद्यमों (सेवा) को क्रमशः 5 करोड़ और 10 करोड़ रुपये तक के ऋण को प्राथमिकता वाले क्षेत्रीय ऋण देने (PSL) के रूप में वर्गीकृत किया गया था. चूंकि माइक्रो/ लघु और मध्यम उद्यमों  (सेवाओं) के लिए  प्रति उधारकर्ता ऋण सीमाएं हटा दी गई थीं, एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के तहत उपकरण में निवेश के सन्दर्भ में परिभाषित पूँजी सेवाओं के रूप में एमएसएमई को सेवाएं उपलब्ध कराने में संलिप्त सभी बैंकों को, किसी भी उधार सीमा के बिना प्राथमिक क्षेत्र के तहत रखा जायेगा.

स्रोत- दि हिन्दू बिज़नस लाइन
परीक्षाओं के लिए मुख्य तथ्य-
  • एक लघु उद्यम वह उद्यम होता है जहां उपकरण में निवेश 10 लाख रुपये या उससे अधिक हो सकता है लेकिन 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकता.
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