भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विभिन्न विनियमित वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग और सेटलमेंट समय की समीक्षा करने के लिए नौ-सदस्यीय कार्य समूह (वर्किंग ग्रुप) का गठन किया है। यह कदम बदलते बाज़ार परिवेश, डिजिटलीकरण में वृद्धि और भारतीय बाज़ार को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। यह कार्य समूह अपनी रिपोर्ट 30 अप्रैल 2025 तक प्रस्तुत करेगा।
हाल के वर्षों में भारत का वित्तीय बाज़ार संरचना में बड़े बदलाव हुए हैं। इस बदलाव के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
इन सभी कारकों के कारण मौजूदा ट्रेडिंग और सेटलमेंट समय में बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि लेन-देन सुचारू हो, मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) बेहतर हो, और तरलता (लिक्विडिटी) से जुड़ी समस्याएं कम हों।
इस कार्य समूह की अध्यक्षता राधा श्याम रथो, कार्यकारी निदेशक, RBI द्वारा की जा रही है। अन्य प्रमुख सदस्य हैं:
RBI ने कार्य समूह को निम्नलिखित बिंदुओं पर काम करने का निर्देश दिया है:
नहीं। अगस्त 2018 में, RBI ने एक आंतरिक समूह का गठन किया था, जिसने जुलाई 2019 में अपनी रिपोर्ट जारी की थी। उस रिपोर्ट में ट्रेडिंग संरचना और सेटलमेंट प्रक्रिया में सुधार के सुझाव दिए गए थे। हालांकि, कोविड-19 महामारी के बाद, विदेशी निवेशकों की भागीदारी बढ़ने और तेज़ भुगतान प्रणालियों के चलते, RBI को अब दोबारा इस समीक्षा की आवश्यकता महसूस हुई है।
यह कार्य समूह बैंकों, व्यापारियों, बाज़ार संघों और नीति निर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करेगा। समूह की अंतिम रिपोर्ट 30 अप्रैल 2025 तक प्रस्तुत की जाएगी। यदि इसमें किसी बदलाव की सिफारिश की जाती है और इसे लागू किया जाता है, तो ट्रेडिंग घंटों में संभावित बदलाव होंगे, जिससे निवेशकों, व्यापारियों और संस्थानों को अधिक अनुकूलित बाजार संचालन का लाभ मिलेगा।
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