भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अध्ययन में निजी पूंजीगत व्यय में पर्याप्त वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसके अनुसार वित्त वर्ष 2025 में यह 2.45 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच जाएगा, जो वित्त वर्ष 2024 में 1.59 ट्रिलियन रुपये था। इस वृद्धि का श्रेय मजबूत निवेश इरादों और बुनियादी ढांचे के विकास पर जारी जोर को दिया जाता है।
आरबीआई के अध्ययन से पता चलता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विशेष रूप से सड़क और पुल तथा बिजली, इस निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा आकर्षित करेंगे। अध्ययन में स्वीकृत परियोजनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो वित्त वर्ष 24 में ₹3.90 ट्रिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। इसमें से 54% वित्त वर्ष 23 के लिए, 30% वित्त वर्ष 25 के लिए और शेष 16% बाद के वर्षों के लिए योजनाबद्ध है।
कमल गुप्ता और राजेश कावेदिया द्वारा लिखित अध्ययन में ₹10 करोड़ से अधिक लागत वाली परियोजनाओं का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि वित्त वर्ष 2024 में निवेश के इरादे बढ़कर ₹5.65 लाख करोड़ हो गए, जो वित्त वर्ष 2023 में ₹3.51 लाख करोड़ थे। इसमें ₹5,000 करोड़ से अधिक की 11 मेगा परियोजनाएँ और ₹1,000 करोड़ से अधिक की 77 बड़ी परियोजनाएँ शामिल हैं।
सरकार की विकास पहलों से प्रेरित बुनियादी ढांचा एक प्रमुख फोकस बना हुआ है। शीर्ष पांच राज्य-गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश-कुल स्वीकृत परियोजना लागत का लगभग 55% हिस्सा हैं।
निजी क्षेत्र के वित्तपोषण में बाहरी वाणिज्यिक उधार के माध्यम से जुटाए गए ₹1.68 लाख करोड़ और घरेलू इक्विटी निर्गमों से जुटाए गए ₹6,310 करोड़ शामिल हैं। इस शोध पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत के दीर्घकालिक विकास के लिए निजी क्षेत्र के निवेश महत्वपूर्ण हैं, जिनमें से 89% प्रस्ताव ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ हैं।
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