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RBI ने 55वीं मौद्रिक नीति समिति की बैठक की घोषणा की (जून 2025)

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 4 से 6 जून, 2025 तक अपनी 55वीं मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आयोजित की। इस बैठक की अध्यक्षता गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा ने की। यह बैठक बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और घरेलू परिस्थितियों के बीच हुई, और इसके प्रमुख फैसले विकास समर्थन और मूल्य स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की दिशा में इंगित करते हैं।

प्रमुख निर्णय

1. नीतिगत दरों में कटौती

  • रेपो दर: 6.00% से घटाकर 5.50% की गई (50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती)।

  • कारण: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति लक्ष्य से नीचे है, जिससे विकास को समर्थन देना संभव हुआ।

  • 2025 में दूसरी कटौती: फरवरी से अब तक कुल 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती।

2. नीतिगत कॉरिडोर में समायोजन

  • Standing Deposit Facility (SDF): 5.25% (रेपो दर से 25 bps कम)।

  • Marginal Standing Facility (MSF) और बैंक दर: 5.75% (रेपो दर से 25 bps अधिक)।

3. नीति रुख में बदलाव

  • “समायोजी” (Accommodative) से “तटस्थ” (Neutral) में बदला।

  • अब RBI डेटा आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा, जिससे आगे और बड़ी कटौती की संभावना कम हो गई है।

आगामी MPC बैठकें

  • 5–7 अगस्त, 2025

  • 29–30 सितंबर और 1 अक्टूबर, 2025

  • 3–5 दिसंबर, 2025

  • 4–6 फरवरी, 2026

GDP पूर्वानुमान (FY26)

कोई परिवर्तन नहीं6.5% पर स्थिर:

अवधि वर्तमान पूर्वानुमान पूर्व पूर्वानुमान
FY26 6.5% 6.5%
Q1 6.5% 6.5%
Q2 6.7% 6.7%
Q3 6.6% 6.6%
Q4 6.3% 6.3%

3.7% (पहले 4.0%):

अवधि वर्तमान अनुमान पहले का अनुमान
FY26 3.7% 4.0%
Q1 2.9% 3.6%
Q2 3.4% 3.9%
Q3 3.9% 3.8%
Q4 4.4% 4.4%

RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत, 6 सदस्यीय MPC का गठन किया गया है। 1 अक्टूबर 2024 की अधिसूचना के अनुसार वर्तमान सदस्य:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर – अध्यक्ष (पदेन)

  2. मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर – सदस्य (पदेन)

  3. RBI के केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित अधिकारी – सदस्य (पदेन)

  4. डॉ. नागेश कुमार, निदेशक, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान – सदस्य

  5. श्री सौगात भट्टाचार्य, अर्थशास्त्री – सदस्य

  6. प्रो. राम सिंह, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स – सदस्य

  • बाहरी सदस्य (क्रम 4 से 6) चार वर्ष के लिए या अगले आदेश तक नियुक्त हैं।

  • समिति में प्रत्येक सदस्य का एक वोट होता है। टाई होने पर गवर्नर का निर्णायक वोट होता है।

  • हर सदस्य को अपने निर्णय का कारण स्पष्ट करना होता है।

RBI के मौद्रिक नीति उपकरण 

रेपो दर

वह दर जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है (सरकारी प्रतिभूतियों के बदले)।

  • दर में वृद्धि → उधारी महंगी → मुद्रास्फीति नियंत्रण

  • दर में कमी → उधारी सस्ती → निवेश/विकास को प्रोत्साहन

स्थायी जमा सुविधा (SDF)

  • बिना प्रतिभूति के RBI में बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी जमा कर सकते हैं।

  • अप्रैल 2022 में शुरू।

  • रेपो दर से 25 bps कम।

सीमांत स्थायी सुविधा (MSF)

  • बैंक अपनी SLR में कटौती कर RBI से आपातकालीन उधारी ले सकते हैं।

  • रेपो दर से 25 bps अधिक।

तरलता समायोजन सुविधा (LAF)

  • RBI द्वारा नकदी को प्रबंधित करने के लिए रेपो/रिवर्स रेपो ऑपरेशन।

  • अन्य उपकरण: OMOs, MSS, फॉरेक्स स्वैप।

LAF कॉरिडोर

  • रेंज जिसमें शॉर्ट टर्म ब्याज दरें बदलती हैं।

    • ऊपरी सीमा: MSF दर

    • निचली सीमा: SDF दर

    • मध्य: रेपो दर

मुख्य नकदी प्रबंधन उपकरण

  • 14-दिन की वेरिएबल रेट टर्म रेपो – मुख्य उपकरण जो CRR साइकिल के अनुरूप चलता है।

फाइन ट्यूनिंग ऑपरेशन

  • अप्रत्याशित नकदी बदलाव के लिए अल्पकालिक उपाय:

    • ओवरनाइट/लंबी अवधि की नीलामी

    • 14 दिन से अधिक की नीलामी भी संभव

रिवर्स रेपो दर

  • RBI बैंकों से नकदी को सरकारी प्रतिभूतियों के बदले लेता है।

  • अब SDF के बाद इसका उपयोग कम हुआ है।

बैंक दर

  • RBI जिस दर पर वाणिज्यिक बिलों को रिडिस्काउंट करता है।

  • CRR/SLR न बनाए रखने पर दंड स्वरूप शुल्क भी यही दर है।

  • यह दर अब MSF दर के समान है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR)

  • बैंक को अपनी जमा राशि का एक न्यूनतम हिस्सा RBI के पास रखना होता है।

  • इससे नकदी की आपूर्ति नियंत्रित होती है।

वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)

  • बैंकों को अपनी जमा राशि का एक हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों, नकदी, या सोने में रखना होता है।

  • बैंकिंग क्षेत्र की तरलता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

खुला बाजार परिचालन (OMOs)

  • RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री/खरीद।

  • बिक्री → नकदी बाहर खींचना

  • खरीद → नकदी बाजार में डालना

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