देश की पारदर्शिता और जवाबदेही व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, कानून एवं न्याय मंत्रालय के पूर्व सचिव राज कुमार गोयल ने 15 दिसंबर 2025 को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) के रूप में शपथ ग्रहण की। यह शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा राष्ट्रपति भवन में दिलाई गई। यह नियुक्ति सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत देश की सबसे अहम संस्थाओं में से एक को नया नेतृत्व प्रदान करती है।
शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुआ, जिसमें उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा तथा कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह सहित कई वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। बाद में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर नियुक्ति की पुष्टि की। अधिसूचना के अनुसार, राज कुमार गोयल ने 15 दिसंबर 2025 की पूर्वाह्न से पदभार ग्रहण किया। आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।
राज कुमार गोयल 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे कानून एवं न्याय मंत्रालय में न्याय सचिव के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने गृह मंत्रालय (MHA) और विदेश मंत्रालय (MEA) में भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वे पहले जम्मू-कश्मीर कैडर से थे और बाद में AGMUT कैडर में सम्मिलित हुए।
नियुक्ति प्रक्रिया (RTI अधिनियम, 2005 के तहत)
मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें—
वैधानिक आधार: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
भूमिका: सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना; सूचना से जुड़े अपीलों और शिकायतों का निपटारा करना।
संरचना: आयोग का नेतृत्व मुख्य सूचना आयुक्त करते हैं और इसमें अधिकतम 10 सूचना आयुक्त हो सकते हैं। वर्तमान में आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी सूचना आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।
नए मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के साथ ही कुछ अन्य व्यक्तियों के नाम भी सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति हेतु अनुशंसित किए गए हैं। इनमें—
जया वर्मा सिन्हा (पूर्व रेलवे बोर्ड अध्यक्ष), स्वागत दास (पूर्व आईपीएस), संजय कुमार जिंदल (पूर्व सीएसएस अधिकारी), सुरेंद्र सिंह मीणा (पूर्व आईएएस) और खुशवंत सिंह सेठी (पूर्व आईएफएस) शामिल हैं। ये नियुक्तियां आयोग में लंबित आरटीआई मामलों के त्वरित निपटारे के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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